LagatarDesk : आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी की तीन दिवसीय बैठक 7 दिसंबर से शुरू होनी वाली है. जो 9 दिसंबर तक चलेगी. इस बैठक में ब्याज दरों में फिर से इजाफा किया जा सकता है. जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा के अनुसार, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास रेपो रेट को 35 बेसिस पाइंट बढ़ा सकते हैं. जिसके बाद रेपो रेट 6.25 फीसदी हो जायेगी. महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए आरबीआई रेपो रेट में वृद्धि करता है. विश्लेषकों का अनुमान है कि रेपो रेट बढ़ने के बाद अक्टूबर में महंगाई दर में कमी आयी है. अक्टूबर में महंगाई दर तीन महीने के निचले स्तर 6.77 फीसदी पर आ गयी. अब इसके और कम होने की संभावना है. (पढ़ें, भारत का निर्यात अक्टूबर में 16.65 फीसदी घटा, व्यापार घाटा बढ़कर 26.91 अरब डॉलर पहुंचा)
फरवरी तक रेपो रेट 6.50 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान
नोमुरा अर्थशास्त्री सोनल वर्मा और औरोदीप नंदी के मुताबिक, आरबीआई दिसंबर में रेपो रेट में 35 बीपीएस की बढ़ोतरी कर सकता है. वहीं फरवरी में रेपो रेट 25 बीपीएस की बढ़ोतरी के बाद 6.50 फीसदी तक पहुंच सकती है. वहीं ब्रिटेन की ब्रोकरेज कंपनी बार्कलेज ने अनुमान जताया है कि दिसंबर में आरबीआई रेपो रेट में 35 बेसिस पाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है. इतना ही नहीं नवंबर में महंगाई दर घटकर 6.5 फीसदी पर पहुंच जायेगी.
इसे भी पढ़ें : पोलैंड में मिसाइल हमला, बाली में अमेरिका के नेतृत्व में जी7 देशों की हुई आपात बैठक
पांच महीने में रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी
बता दें कि आरबीआई महंगाई को काबू में करने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. 2022 में अबतक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 4 बार इजाफा कर चुका है. जिसके बाद रेपो रेट 5.90 फीसदी पर पहुंच गया है. आरबीआई ने 4 मई को अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था. फिर रिजर्व बैंक ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. वहीं 30 सितंबर को रेपो रेट 50 बेसिस पाइंट बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया. यह लगातार चौथी बार था जब आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा किया था. इस तरह पांच महीने में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है.
बढ़ जायेगा आम आदमी पर ईएमआई का बोझ
रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद कर्ज महंगा हो जायेगा, क्योंकि बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जायेगी. इसका असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ेगा. होम लोन के अलावा ऑटो लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जायेंगे. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी होगी. रेपो रेट वह दर होता है, जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है.
इसे भी पढ़ें : कबाड़ में अरबों का खेल ……