LagatarDesk : महंगाई से राहत के बीच भारत की इकोनॉमी के लिए बुरी खबर है. अक्टूबर में भारत का निर्यात घटा है. सालाना आधार पर निर्यात 16.65 फीसदी घटकर 29.78 अरब डॉलर रह गया. जो सितंबर में 35.45 अरब डॉलर पर रहा था. वहीं पिछले साल की समान अवधि यानी अक्टूबर 2021 में यह 35.73 अरब डॉलर पर रहा था. वाणिज्य मंत्रालय ने गुरुवार को आंकड़ा जारी करके इसकी जानकारी दी है. (पढ़ें, पोलैंड में मिसाइल हमला, बाली में अमेरिका के नेतृत्व में जी7 देशों की हुई आपात बैठक)
अप्रैल-अक्टूबर में निर्यात 12.55 फीसदी बढ़कर 263.35 अरब डॉलर पहुंचा
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह में यानी अप्रैल-अक्टूबर में निर्यात 12.55 फीसदी बढ़कर 263.35 अरब डॉलर हो गया. वहीं आयात भी 33.12 प्रतिशत बढ़कर 436.81 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वहीं भारत का व्यापार घाटा भी बढ़कर 26.91 अरब डॉलर हो गया. जो पिछले माह यानी सितंबर में 25.71 अरब डॉलर पर था.
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सालाना आधार पर अक्टूबर में आयात 6 फीसदी बढ़ा
अक्टूबर में देश का आयात 56.69 अरब डॉलर पर पहुंच गया. जो सितंबर में 61.16 अरब डॉलर पर था. एक साल पहले समान समयावधि में यानी अक्टूबर 2021 में यह 53.64 अरब डॉलर पर था. इस तरह सालाना आधार पर आयात छह फीसदी बढ़ा है. कच्चे तेल और कपास, उर्वरक और मशीनरी जैसे कुछ कच्चे माल की अधिक मांग से आयात बढ़ा है.
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वैश्विक मांग में कमी के कारण घटा देश का निर्यात
भारत के निर्यात में लगातार दो सालों से गिरावट दर्ज की जा रही है. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, ग्लोबल डिमांड में गिरावट आने की वजह से निर्यात में कमी आयी है. रत्न और आभूषण (21.56 प्रतिशत), इंजीनियरिंग (21.26 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (11.28 प्रतिशत), सभी तरह के कपड़ों से तैयार वस्त्र (21.16 प्रतिशत), रसायन (16.44 प्रतिशत), दवा (9.24 प्रतिशत), समुद्री उत्पाद (10.83 प्रतिशत) और चमड़ा (5.84 प्रतिशत) समेत प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में अक्टूबर में गिरावट दर्ज की गयी है.माह दर माह देश का व्यापार घाटा बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय बन रहा है.
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क्या होता है व्यापार घाटा
जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है, तो उसे ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटा कहते हैं. इसका मतलब यह है कि वह देश अपने यहां ग्राहकों की जरूरत को पूरा करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पा रहा है. इसलिए उसे दूसरे देशों से इनका आयात करना पड़ रहा है. इसके उलट जब कोई देश आयात की तुलना में निर्यात अधिक करता है तो उसे ट्रेड सरप्लस कहते हैं.
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