भू-माफियाओं की दबंगई से जमीन मालिक परेशान, जमीन हड़पने के लिए जबरन खड़े कर देते हैं विवाद
महिला बिग्रेड से जबरन जमीन पर कराया जा रहा कब्जा
Rajendra Kumar Dubey
Vishnugarh, Hazaribagh: कमजोर भू-स्वामियों के लिए संरक्षण प्राप्त भू-माफिया परेशानी का सबब बने हुए हैं. दबंग छवि वाले माफिया तत्व फर्जी कागजात बनाकर उनकी जमीन पर जबरन कब्जा करने में जुटे हैं. ये लोग पहले खतियानी जमीन का फर्जी कागजात तैयार कर भू-स्वामियों के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा कर देते हैं, फिर उन्हें दशकों तक न्यायालय का चक्कर लगाना पड़ता है. इससे जमीन के असली हकदारों को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है और समय के साथ पैसों की भी बर्बादी होती है. इसकी एक बानगी चेडरा का एक खतियानी भूखंड है. इस जमीन पर कब्जा करने के लिए अब महिला ब्रिगेड को उतारा जा रहा है. उनका विरोध करने पर भू-स्वामियों के साथ गाली-गलौज की जाती है. इतना ही नहीं कभी-कभी पथराव तक किया जाता है और छेड़खानी का मुकदमा करने की धमकी भी दी जाती है. जमीन मालिक जब दबंगों से समझौता नहीं करते हैं, तो उनकी जमीन पर इस प्रकार ही जबरन कब्जा हो जाता है. इनके पास धनबल तथा जनबल दोनों है.
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फर्जी कागजात तैयार कर न्यायालय में कर रहे मुकदमा
सूत्रों की मानें, तो सरकारी महकमे में भी इनकी गहरी पैठ है. हुक्मरानों को मुंह मांगी रकम देकर वे अपने मनोनकुल काम करा लेते हैं. भू-माफिया लाखों रुपये नजराना देकर एलपीसी से लेकर म्यूटेशन तक कराने में सफल हो जाते हैं. इनके प्रभाव में आकर जमीन को विवादित बनाने के लिए रजिस्टर-टू में भी छेड़छाड़ की जाती है और उसके पन्ने तक फाड़ दिए जाते हैं. यह सब कुछ भू-स्वामियों को विवश कर अपनी जमीन बेचने के लिए किया जाता है.
जमीन मालिकों की गुहार पर नहीं होती सुनवाई
भू-माफियाओं के शिकार जमीन के असली मालिक फरियादी बनकर अफसरों के दरवाजों पर दस्तक देते हैं. न्याय की गुहार लगाते हैं, मगर उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है. दूसरी ओर न्यायिक प्रक्रिया की दीर्घसूत्रता के कारण विवादित बना दी गई जमीनों पर न्यायालय का फैसला आने में पीढियां गुजर जाती हैं. अंततः, थक-हार कर जमीन के असली मालिक भू-माफियाओं के सामने समर्पण कर औने-पौने दाम में उन्हें अपनी जमीन दे देते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर जमीन मालिकों को इन भू-माफियाओं के शोषण और दोहन से मुक्ति कब मिल पाएगी.
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