हेमंत सोरेन ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने उन्हें चुन लिया
Ranchi : जामा विधायक सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने के साथ ही सोरेन परिवार में बिखराव शुरू हो गया है. अब सोरेन परिवार में स्व. दुर्गा सोरेन के नाम पर सियासत शुरू हो गई है. देवरानी कल्पना सोरेन और जेठानी सीता सोरेन में जंग छिड़ गई है. मंगलवार को सीता सोरेन भाजपा में शामिल हुईं. सीता ने कहा कि उनके पति स्व. दुर्गा सोरेन ने झारखंड और झामुमो के लिए त्याग और बलिदान दिया, लेकिन उनके निधन के बाद से ही उनका परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहा है.
इसके बाद कल्पना सोरेन ने भी दुर्गा सोरेन और हेमंत के संबंधों को लेकर ट्विटर पर एक पोस्ट डाला. जिसमें उन्होंने बताया कि हेमंत सोरेन तो राजनीति में आना ही नहीं चाहते थे, लेकिन अपने पिता और भाई के संघर्षों को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें मजबूरी में राजनीति में कदम रखना पड़ा.
हेमंत सोरेन के ट्विटर (एक्स) से ट्विट करते हुए कल्पना सोरेन ने कहा कि हेमंत के लिए दुर्गा सोरेन सिर्फ बड़े भाई नहीं बल्कि पिता तुल्य अभिभावक के रूप में रहे. 2006 में जब वे शादी करके सोरेन परिवार में आईं तब उन्होंने हेमंत सोरेन का अपने बड़े भाई के प्रति आदर, समर्पण और दुर्गा सोरेन का हेमंत के प्रति प्यार देखा. हेमंत तो राजनीति में आना ही नहीं चाहते थे, लेकिन दुर्गा सोरेन के निधन और शिबू सोरेन के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति में आना पड़ा. हेमंत सोरेन ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने उन्हें चुन लिया. जिन्होंने आर्किटेक्ट बनने की ठानी थी उनके उपर शिबू और दुर्गा सोरेन की विरासत और संघर्ष को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी थी. उन्हीं के संघर्षों को आगे बढ़ाते और पूंजीपतियों-सामंतवादियों के खिलाफ लड़ते हुए आज हेमंत जेल चले गये. वे झुके नहीं. उन्होंने एक झारखंडी की तरह लड़ने का रास्ता चुना. वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर, समझौता कर, आगे बढ़ना सीखा ही नहीं है.
मुंह में उंगली नहीं डालें, हमने मुंह खोला तो भयावह सच्चाई उजागर होगी : सीता सोरेन
इसके बाद देर शाम सीता सोरेन ने देवरानी पर सोशल मीडिया में बरस पड़ीं. कहा दुर्गा सोरेन के नाम की दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोग मुंह में उंगली नही डालें. अगर मैं और मेरे बच्चों ने मुंह खोला तो भयावह सच्चाई उजागर होगी. इससे कितनों की राजनीतिक सत्ता सुख का सपना चूर-चूर हो जायेगा. झारखंड की जनता उन पर थूकेंगी, जिन्होंने दुर्गा सोरेन और उनके लोगों को मिटाने की साजिश की. सीता ने कहा कि दुर्गा सोरेन के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था. मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया. कहा कि मेरे इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है. यह मेरी और मेरी बेटियों की पीड़ा, उपेक्षा और हमारे साथ हुए अन्याय के खिलाफ एक आवाज है. सीता ने झारखंडवासियों से आग्रह किया कि उनके इस्तीफे को एक व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी राजनीतिक चाल के रूप में.
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