Kiriburu (Shailesh Singh) : आदिवासी संयुक्त मंच, किरीबुरु-मेघाहातुबुरु के संयुक्त तत्वावधान में सामुदायिक भवन, किरीबुरु में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि किरीबुरु के एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर, विशिष्ट अतिथि किरीबुरु के सीजीएम कमलेश राय, प्रमुख पूनम गिलुवा, थाना प्रभारी फिलमोन लकड़ा, एसआई रंजीत महतो, ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक विनय रजक, मुखिया पार्वती किड़ो, मुखिया प्रफुल्लित गलोरिया तोपनो, मजदूर नेता वीर सिंह मुंडा, उप मुखिया सुमन मुंडू ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया.
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समाज के अधिकांश लोग हंड़िया-दारू में लिप्त : एसडीपीओ
एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर ने कहा कि आदिवासी आज किस स्थिति, परिस्थिति एवं समाज के किस पायदान पर खडे़ हैं, इसे जानने व आगे ले जाने की जरूरत है. आप सभी गांवों में जायें और यह चर्चा अवश्य करें कि आज हमारा आदिवासी समाज कहां खड़ा है. हम अपने समाज के विकास के लिये क्या कर सकते हैं. हमारे समाज के अधिकांश लोग हंड़िया और दारू के सेवन में पूरी तरह से लिप्त हैं. 60 वर्ष से ऊपर उम्र के लोगों को शायद हम नहीं सुधार पायें, लेकिन उससे नीचे की युवा पीढ़ी जिसे कल का भविष्य कह सकते हैं, उसे तो सुधार सकते हैं. नशापान से हमारे समाज की स्थिति दयनीय हो रही है. इस वजह से अशिक्षा, घरेलू हिंसा, अंधविश्वार, शारीरिक श्रम शक्ति व मानसिक शक्ति कमजोर होना, समाज की मुख्य धारा से भटक गलत रास्ते पर जाना आदि अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही है. हमारे पूर्वक व अन्य पीढ़ी जो नशापान किया, उससे खराब परिणाम मिला. हमारे बाल-बच्चे अच्छा शिक्षा व अच्छे इंसान शायद नहीं बन पाये. अशिक्षा हमारे उन्नति के लिये मुख्य रुप से बाधक है. नवयुवकों से उन्होंने अपील किया की वह आज से हीं हडि़या-दारू का त्याग कर दें.
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700 आदिवासी समूह व उप समूह हैं : सीजीएम
विशिष्ट अतिथि सीजीएम कमलेश राय ने कहा कि भारत में लगभग 700 आदिवासी समूह व उप समूह हैं. इनमें लगभग 80 प्राचीन आदिवासी जातियां हैं. भारत की जनसंख्या का 8.6 फीसदी (लगभग 10 करोड़) जनसंख्या आदिवासियों की है. विश्व के 90 से अधिक देशों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. दुनिया में आदिवासी समुदाय की आबादी लगभग 37 करोड़ है, जिसमें लगभग 5000 अलग-अलग आदिवासी समुदाय हैं और उनकी लगभग 7 हजार भाषाएं हैं. इसके बावजूद आदिवासियों को अपने अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. पुरातन संस्कृत ग्रंथों में आदिवासियों को ‘अंविका’ नाम से संबोधित किया गया. आदिवासियों की देशज ज्ञान परंपरा काफी समृद्ध है. इसकी समृद्धि ही इसके शोषण का कारण भी बनती है. आदिवासियों ने अपने ज्ञान का उपयोग सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए किया. आदिवासियों का राष्ट्र के प्रति वह अमृत भाव ही था जिसने सिद्धो-कान्हू, तिलका-मांझी, बिरसा मुंडा इत्यादि वीर योद्धाओं को जन्म दिया. आदिवासी राष्ट्र को सिर्फ स्वतंत्र ही नहीं बल्कि जागृत करने का काम भी अपने लोक संचार माध्यम के जरिये करते रहे हैं.
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सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
प्रमुख पूनम गिलुवा, मुखिया पार्वती किडो़ ने बैंक अधिकारी विनय रजक, वीर सिंह मुंडा ने भी संबोधित कर आदिवासियों को नशापान, कानून व संविधान विरोधी कार्य, अंधविश्वास, घरेलू हिंसा से दूर व शिक्षा, अपनी संस्कृति को अपनाने की अपील किया. इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम व अन्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में पूर्व मुखिया आलोक तोपनो, इलियास चाम्पिया, बिलारमन कंडुलना, फ्रांसिस लोम्गा, सुस्ती सुंदर दास आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे.