- 2000 की आबादी वाले गांव में 30 से ज्यादा लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण
- होम आइसोलेशन में दवा खाकर बीमारी से लड़ रहे हैं 200 से ज्यादा लोग
- एक महीने पहले गांव की 50 फीसदी आबादी थी सर्दी, खांसी, बुखार की चपेट में
Ranchi : पहली लहर में कोरोना महामारी से दूर रहे गांव अब तेजी से संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. झारखंड में सबसे ज्यादा संक्रमितों की संख्या रांची में है, लेकिन धीरे-धीरे राजधानी से सटे गांवों में भी संक्रमण की रफ्तार तेज हो गई है. ओरमांझी प्रखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित गुडू पंचायत में कुल आबादी के 30 फीसदी लोगों में कोरोना संक्रमण के लक्षण देखे जा रहे हैं. 20 दिन के अंदर यहां 3 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से एक व्यक्ति की मौत कोरोना से हुई, जबकि दो लोगों की मौत का स्पष्ट कारण नहीं पता चल पाया है, क्योंकि उन दोनों ने कोविड टेस्ट नहीं कराया था. इस वजह से उनकी मौत संदेह के घेरे में है. गांव की हेपीया देवी (60 वर्ष), अंबिका प्रसाद (50 वर्ष) बीमार चल रहे थे. इसी दौरान उनकी मौत हो गई. वहीं राजू साहू (60 वर्ष) का कोरोना टेस्ट हआ था और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. तीन मौतों के अलावा गांव के 30 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से बीमार हैं, जबकि हर तीसरे घर में सामान्य सर्दी-खांसी और बुखार के लक्षण वाले मरीज मौजूद हैं.
178 लोगों ने कराया कोविड टेस्ट, 4 निकले थे पॉजिटिव
कोरोना महामारी के बीच इतनी संख्या में बीमार होने के बाद भी लोग कोविड टेस्ट नहीं करा रहे हैं. सामान्य सर्दी-खांसी मानकर पारासिटामोल की दवाइयां खा रहे हैं. 3 लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव में कोविड टेस्ट के लिए कैंप लगाया गया था, जहां 2000 की आबादी वाले गांव के सिर्फ 178 लोग जांच कराने पहुंचे थे, उनमें से 4 लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे, सभी लोगों का होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है.
मेडिकल स्टोर से सर्दी, खांसी और बुखार की दवाइयां लेकर खा रहे बीमार लोग
200 से ज्यादा लोगों ने सर्दी-खांसी जैसे सामान्य लक्षण दिखने पर मेडिकल स्टोर से दवाइयां लेकर खाईं. जिनमें से कई लोग दवाई खाने पर ठीक हो गये. कुछ लोगों की हालत में दवाई खाने के बाद भी सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने टाइफाइड का टेस्ट कराया, जिसमें वे टाइफाइड के शिकार पाये गये. ऐसे लोग अभी भी घर पर ही दवाइयां खा रहे हैं, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा है. आंगनबाड़ी सेविका मानती देवी के मुताबिक गांव में बीमार लोगों की संख्या अब कम हो रही है. एक महीने पहले स्थिति बेहद खराब थी. हर घर में लोग बीमार थे.
उपस्वास्थ्य केंद्र बंद, प्रखंड अस्पताल में डॉक्टर नहीं
गांव का उपस्वास्थ्य केंद्र बंद पड़ा है. प्रखंड के अस्पताल में भी डॉक्टर नहीं हैं. ऐसे में यहां के गरीब लोग खुद को भगवान भरोसे मानकर अपना इलाज खुद कर रहे हैं. जिन घरों में लोग बीमार हैं गांव के लोगों ने उनके घरों में आना-जाना भी छोड़ दिया है. वहीं वैक्सीनेशन की रफ्तार भी यहां बेहद धीमी है. 300 लोगों ने वैक्सीन का पहला डोज लिया था, जबकि 45 दिन बीतने के बाद सिर्फ 50 लोगों को ही दूसरा डोज मिल सका है.