Sourav Shukla
Ranchi: सूबे के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान “रिम्स” अकसर सुर्खियो में रहता है. इस बार पीजी हॉस्टल नंबर 7 घाघरी के लिए हॉस्टल के पीछे लगा मेडिकल वेस्ट डीकंपोजर परेशानी का कारण बन गया है. दरअसल हॉस्टल के पीछे बने डीकंपोजर यूनिट से मेडिकल वेस्ट को डीकंपोज करने की व्यवस्था की गई है. लेकिन अस्पताल प्रबंधन के उदासीन रवैया के कारण बेहतर तरीके से मेडिकल वेस्ट कोट डीकंपोज नहीं किया जा रहा है. लगातार.इन के पड़ताल में यह सच सामने आया है. कि पीजी हॉस्टल के पीछे बड़े इलाके में मेडिकल वेस्ट बिखरे पड़े हैं. ऐसे में हॉस्टल परिसर का वातावरण खराब हो रहा है.
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रिम्स से निकलता है हर रोज 500 किलो मेडिकल वेस्ट
राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान में करीब 1400 मरीजों का इलाज होता है. हर रोज रिम्स से 500 किलो मेडिकल वेस्ट निकलता है. मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए मेडिकल वेस्ट डीकंपोजर लगाया गया है. लेकिन मेडिकल वेस्ट डीकंपोजर के ठीक ढंग से काम नहीं करने के कारण हॉस्टल के पीछे के परिसर में कचरे का अंबार पसरा हुआ है.
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मेडिकल वेस्ट यूनिट का हॉस्टल के बगल में होना चिंताजनक
रिम्स में कार्यरत चिकित्सक डॉ चंद्रभूषण की मानें तो मेडिकल वेस्ट यूनिट का हॉस्टल के बगल में होना चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इस रास्ते से वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के कर्मचारी जो कचरा लेकर जाते है, वह रास्ते में बिखर जाता है. इससे बेहतर स्वास्थ्य की कामना कैसे की जा सकती है. मेडिकल वेस्ट के कारण परिसर का वातावरण भी खराब हो रहा है. वेस्ट के कारण बीमारी फैलने की आशंका है. मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए प्रभावशाली ढंग से काम करने की जरूरत है, जो फिलहाल नहीं दिख रहा है.
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हॉस्टल की छात्राएं अक्सर रहती हैं बीमार
रिम्स के पीजी हॉस्टल नंबर 7 में रहने वाली छात्रा सौम्या ने कहा कि मेडिकल वेस्ट डीकंपोजर यूनिट से निकलने वाले धुंए से बीमारी फैलने की आशंका है. हर रोज बड़े पैमाने पर मेडिकल वेस्ट यहां पर लाया जाता है, लेकिन ठीक तरह से डीकंपोज नहीं किया जाता है. जिससे अक्सर छात्रावास की छात्राएं बीमार रहती हैं.