Nagpur : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने एक कार्यक्रम में लोगों से जाति प्रथा को पूरी तरह से खत्म करने की बात कही. मोहन भागवत ने यह बात शुक्रवार को पुस्तक विमोचन (Book Release) कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा. उन्होंने कहा कि ‘वर्ण’ और ‘जाति’ की अवधारणाओं को भूल जाना चाहिए. वर्तमान समय में समाज में भेदभाव करने वाली हर चीज को खत्म करने की जरूरत है. सामाजिक समानता भारतीय परंपरा (Indian tradition ) का हिस्सा थी, जिसे पूरी तरह से भुला दिया गया है. जिसके कारण आज की स्थिति ऐसी बन गयी है जिसके परिणाम बहुत हानिकारक है.
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पूर्वजों की गलतियों को स्वीकार करने में परेशानी नहीं
“वज्रसुची तुंक” पुस्तक का हवाला देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि पिछली पीढ़ियों ने कई गलतियां की हैं, हमें इसे स्वीकार करने में परेशानी नहीं होनी चाहिए. अगर आपको लगता है कि हमारे पूर्वजों ने गलतियां की हैं तो वे हीन हो जाएंगे, ऐसा नहीं होगा. सभी के पूर्वजों ने गलतियां की हैं.
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जनसंख्या नीति बनायी जानी चाहिए
गौरतलब है कि मोहन भागवत ने दशहरा समारोह में कहा था कि हिंदू-मुस्लिम सभी के लिए जनसंख्या नीति बनायी जानी चाहिए. जनसंख्या जितनी अधिक होगी उतना बोझ ज्यादा होगा. जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है. हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है. मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और सब पर समान रूप से लागू हो. बिना संसाधनों के निर्माण बढ़ता है तो वह बोझ बन जाता है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.जनसंख्या को संपत्ति मामना एक दृष्टिकोण है लेकिन हमें दोनों पहलुओं को समझना होगा.
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