Dumka: उपराजधानी में भी कोरोना बेकाबू होता जा रहा है. पिछले 4 दिनों में 400 से अधिक मामले सामने आये हैं. हालांकि महामारी की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन की ओर से कई सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं. लेकिन मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन अभी भी संक्रमण के प्रति गंभीर नहीं हुआ है. आए दिन उसकी लापरवाही सामने आती रही है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जिस केंद्र में संक्रमित रोज बड़ी संख्या में सैंपल देने के लिए आते हैं. उसी केंद्र से महज दस मीटर की दूरी पर कुपोषण उपचार केंद्र है. जहां कुपोषित बच्चों को रखा जाता है. इससे बच्चों के संक्रमित होने का हमेशा खतरा बना रहता है. बावजूद इसके प्रबंधन यहां मूकदर्शक बना हुआ है. लिहाजा यहां मेडिकल कचरा का उचित प्रबंधन जरुरी है.
संक्रमित मरीज के इलाज के में उपयोग की जाने वाली पीपीई किट, दस्ताने व दूसरे अपशिष्ट पदार्थों को यहां खुले में फेंका जा रहा है. जबकि इसी के बगल में कुपोषण केंद्र में बच्चों को रखा जाता है. जिसे कभी कभी जलाया भी जाता है. कुपोषण केंद्र में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी की माने तो जहां कोविड का अवशिष्ट समान फेंका जाता है. वहीं कुपोषण केंद जाने का रास्ता भी है. इन मेडिकल कचरे को जलाने पर धुआं केंद्र के अंदर भर जाता है. जिसकी बदबू में सांस लेना मुश्किल हो जाता है. उस रास्ते से आने जाने से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. सफाई कर्मी भी किट को फेंकने से पहले किसी तरह की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखते हैं. यह हाल तब है जब रोज इसी अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी संक्रमित हो रहे हैं. इसके बाद भी प्रबंधन इसको लेकर उदासीन बना हुआ है. आपको बता दें कि कुपोषित बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य बच्चों से कम होती है. ऐसे में इनके संक्रमित होने का खतरा भी अधिक रहता है.
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