कोरोना काल में डेढ़ से दोगुनी कीमत पर खाद्यान्न खरीदने को मजबूर उपभोक्ता
1 महीने में आटे-दाल का भी बढ़ा भाव, कीमत में 10 से 20 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी
Ranchi : कोरोना संक्रमण से आम जनता पर दोहरी मार पड़ी है. बीते 13 महीने में गरीब और मध्यम वर्ग की आमदनी घटी, आय के स्त्रोत कम हुए, लेकिन महंगाई बढ़ी. संकट के इस दौर में खाने-पीने के सामान, फल और सब्जी जैसी जरूरी चीजों के महंगे होने से सामान्य आमदानी वाले लोग परेशान हैं. दिक्कत तब और बढ़ जा रही है जब महंगे हो चुके सामानों की कालाबाजारी की जा रही है. 3 महीने में सरसों तेल और रिफाइन तेल की कीमत दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है. दाल, आटा, चावल और गेहूं की भी कीमतें प्रति किलो 10 से 20 रुपये बढ़ी है. फलों की कीमत भी नियंत्रण से बाहर है. रसोई गैस की कीमत भी तीन महीने में 250 से 275 रुपये तक बढ़ गई है.
जनवरी में 694 रुपये में मिलने वाला सिलेंडर अब 850 रुपये में मिल रहा है. उधर महंगाई के बीच आपदा में अवसर ढूंढने वाले लोगों की वजह से आम लोग परेशान हैं. झारखंड के कुछ अवसरवादी दुकानदार दोगुनी कीमत पर खरीदारों को सामान बेच रहे हैं.
गली-मुहल्लों में रात 8-9 बजे तक हो रही दुकानदारी
हेमंत सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत दोपहर 2 बजे तक ही दुकानें खुली रखने का निर्देश जारी किया है. मुख्य सड़कों में पुलिस की गश्ती के कारण 2 बजे के बाद दुकानें तो बंद हैं, लेकिन बस्तियों और मुहल्लों में लगभग सभी दुकानदार अपने दुकानों के आधे दरवाजे खोलकर धड़ल्ले से सामान बेच रहे हैं. दोपहर 2 बजे के बाद आने वाले ग्राहकों से हर सामान पर डेढ़ से दो गुणा ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है. 150 से 160 रुपये में बिकने वाले सरसों और रिफाइन तेल ये लोग 200 रुपये में बेच रहे हैं. 150 रुपये किलोग्राम बिकने वाला मूंगफली भी 200 से 220 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा है. आटा, चीनी, सोयाबीन समेत अन्य खाने पीने के सामान भी एमआरपी से 25 फीसदी ज्यादा दामों पर बेच रहे हैं. दुकानदार खुलेआम कह रहे हैं कि कोरोना संक्रमण और पुलिस-प्रशासन का रिस्क लेकर दुकान खोल रहे हैं, तो जोखिम उठाने के बदले दाम तो बढ़ाएंगे ही.
एक साल में ऐसे बढ़ी कीमतें (रांची का भाव)
उत्पाद | कीमत (अप्रैल 2020) | कीमत (अप्रैल 2021) |
सरसों तेल | 90-100 रु प्रति लीटर | 165-170 प्रति लीटर |
रिफाइंड तेल | 90-95 रु प्रति लीटर | 155-165 प्रति लीटर |
आटा | 140-150 प्रति 5 किलो | 175-190 प्रति 5 किलो |
चीनी | 40 रुपये प्रति किलो | 44-48 रुपये प्रति किलो |
अरहर दाल | 90 रुपये प्रति किलो | 120 रुपये प्रति किलो |
चना दाल | 80 रुपये प्रति किलो | 110-120 प्रति किलो |
मूंग दाल | 80 रुपये प्रति किलो | 120 रुपये प्रति किलो |
चना | 80 रुपये प्रति किलो | 120 रुपये प्रति किलो |
10 रुपये में 4 की जगह अब सिर्फ एक नींबू
हाल के दिनों में टमाटर को छोड़कर दूसरी सब्जियों की कीमत में भी गिरावट नहीं हुई. तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के समय नींबू की मांग तेजी से बढ़ी है. नींबू में विटामिन सी की मात्रा काफी होती है इसलिए नींबू खरीदने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई. बिक्री बढ़ी और इसकी कीमत अब आसमान छूने लगी है. 2 महीने पहले तक 10 रुपये में अच्छी क्वालिटी के 4 नींबू मिल जाते थे, लेकिन इस बार 10 रुपये में सिर्फ एक नींबू मिल रहा है.
रांची की मंडी में सब्जियों के भाव
उत्पाद | कीमत (प्रति किलोग्राम) |
आलू | 20-22 रुपये प्रति किलो |
प्याज | 25-30 रुपये प्रति किलो |
भिंडी | 50 रुपये प्रति किलो |
परवल | 60 रुपये प्रति किलो |
करेला | 50 रुपये प्रति किलो |
फ्रैंचबीन | 40 रुपये प्रति किलो |
कटहल | 50-50 रुपये प्रति किलो |
टमाटर | 20 रुपये प्रति किलो |
लौकी | 20 रुपये किलो |
फलों के भाव (रांची की मंडी)
तरबूज | 25 रुपये प्रति किलो |
सेब | 160 से 280 रुपये प्रति किलो |
संतरा | 120 से 160 रुपये प्रति किलो |
अंगूर | 100 से 140 रुपये प्रति किलो |
केला | 50 से 60 रुपये प्रति दर्जन |
अनार | 150 से 200 रुपये प्रति किलो |
आम | 80 से 150 रुपये प्रति किलो |
अमरूद | 120 से 160 रुपये प्रति किलो |
पपीता | 50 रुपये किलो |
मौसमी फलों के दाम आम तौर पर 100 रुपये से कम होते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से फलों और सब्जियों के दाम में गिरावट नहीं हुई है. फलों का आयात 50 फीसदी तक कम हो गया है. बाजार में अधिकतर लोकल फल ही नजर आ रहे हैं. पिछले साल 5 रुपये किलो तरबूज बिका था, लेकिन इस बार 20 रुपये से कम तरबूज कहीं नहीं मिल रहा है. सब्जियों का भी यही हाल है. इस बार सब्जियों की अच्छी पैदावार हुई. इसके बावजूद टमाटर को छोड़कर दूसरी सब्जियां महंगी ही है.