Ranchi : झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने बीते रविवार को 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधयेक 2022 को वापस लौटा दिया है. जिसके बाद से ही राज्य में एक बार फिर सियासत गर्म हो गयी है. इसी बीच झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाने के बाद सरकार इसकी समीक्षा कर रही है. राज्यपाल ने जिन बिंदुओं पर त्रुटियों का जिक्र किया है. उसे ठीक कर फिर से राज्यपाल के पास भेजा जायेगा. उन्होने कहा कि ये कोई नयी बात नहीं है कि राज्यपाल ने कोई विधेयक वापस लौटाया है. राज्यपाल ने इसे समीक्षा के लिए भेजा है इसे रिजेक्ट नहीं किया गया है.
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कानूनविदों की राय लेकर त्रुटियों को ठीक करे- बाबूलाल मरांडी
वहीं बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 1932 के मुद्दे को लेकर सरकार लगातार नाटक कर रही है और जो काम वो खुद कर सकती थी, लेकिन सरकार को राज्यपाल के पास भेज दिया. अब सरकार कानूनविदों की राय लेकर त्रुटियों को ठीक करे. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर तो विधानसभा में उन्हें ठीक से बोलने तक नहीं दिया जाता.
1932 खतियान सरकार के लिए एक मृग मरीचिका साबित हो रही- सरयू राय
निर्दलीय विधायक सरयू राय ने राज्यपाल के इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि 1932 खतियान सरकार के लिए एक मृग मरीचिका साबित हो रही है और मृग मरीचिका के पीछे भागने वाले की प्यास कभी नहीं बुझती . सरयू राय ने इसे शेर की सवारी बताते हुए कहा कि शेर की सवारी ज्यादा देर तक नहीं हो सकती . उन्होने मुख्यमंत्री से अपील की कानूनविदों से राय लेकर इसे जल्द दुरूस्त किया जाये. सरयू राय ने कहा कि एक समूह को बाहरी बता कर हवा में तलवार लहराने से कोई समाधान नहीं निकलने वाला.
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