ओपिनियन

जेपी पर संघ को प्रतिष्ठित करने का आरोप कितना सही?

आपातकाल के 50वें साल पर भाजपा देश भर में अभियान चला रही है. संपूर्ण क्रांति के जनक जय प्रकाश नारायण (जेपी) पर यह आरोप लगाये जाते हैं कि उन्होंने संघ को प्रतिष्ठित किया. इसमें कितनी सच्चाई है, यह जानने के लिए पढ़ें जेपी आंदोलन में शामिल रहे श्रीनिवास की यह टिप्पणी....

Continue reading

APCR Report: चुनाव के दौरान नफरती भाषणों में घुसपैठिया, बंगलादेशी, रोहिंगिया, आतंकी, लव जेहाद, जेहादी जैसे शब्दों का इस्तेमाल

चुनावों के दौरान भाजपा नेता और उससे जुड़े संगठन के लोग अपने भाषणों में बेरोक-टोक नफरती बयान देते हैं. इन सबके पीछे मकसद चुनाव में जीत हासिल करना होता है. बहुसंख्यक वोटरों को पहले यह समझाया जाता है कि वह ही सबसे सर्वश्रेष्ठ हैं, फिर उनके मन में एक काल्पनिक डर पैदा किया जाता है, और बताया जाता है कि उनकी हर समस्या के लिए अल्पसंख्यक जिम्मेदार हैं.

Continue reading

केरल पहुंचकर हटिया एक्सप्रेस हो गई हत्या एक्सप्रेस!

नुवाद करने वाला अंग्रेजी में Hatia हटिया को हत्या पढ़ या समझ ही सकता है और ध्यान न दे, सतर्क न रहे तो मलयालम में उसे कोलापथकम लिखेगा, जिसका मतलब मर्डर यानी हत्या होता है.  ऐसी गलतियों से बचने के तमाम तरीके हैं. सामान्य बुद्धि वाले और कृत्रिम बुद्धि वाले भी. पर दोनों को अनुवाद में माहिर होना सबसे जरूरी है. अगर ऐसी गलतियों से बचना चाहें तो अनुवाद की जांच जरूर करवाइये. पैसे बचाने हैं तो पूरे लेख का न करवायें, महंगे विज्ञापनों, नामों, नारों और स्लोगन का तो करवाये हीं.

Continue reading

नफरती भाषण देने में राजनीतिज्ञों के साथ न्यायाधीश व पत्रकार भी शामिल

चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अलावा दो न्यायाधीशों और एक राज्यपाल ने भी नफरती भाषण दिये हैं. जिन पर नफरत के माहौल को समाप्त करने की जिम्मेवारी है, जब वही नफरती भाषण देने में आगे बढ़ करके हिस्सा ले, तो इसकी गंभीरता और अल्पसंख्यकों के सामने पैदा हुई स्थिति का समझा जा सकता है.

Continue reading

सरोकारः मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के एक साल में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कुल 947 नफरती अपराध हुए

देश में नफरत का माहौल कम होता नहीं दिख रहा है. केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व उसके समर्थक इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट (APCR) ने अपने एक ताजा अध्ययन में पाया है कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले साल में कम से कम 947 नफरती अपराध हुए हैं.

Continue reading

तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़े विश्व को शांति की तलाश

अमेरिकी शहर शिकागो में वर्ष 1893 नवंबर में आयोजित धर्म महासभा में दिए अपने संबोधन में स्वामी विवेकानंद ने कहा था-'पृथ्वी पर सबसे प्राचीनतम संन्यासी समाज की ओर से मैं आपलोगों को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. सर्वधर्म के सद्भाव स्वरूप जो सनातन हिन्दू धर्म है, उसका प्रतिनिधि होकर आज मैं, आपलोगों को धन्यवाद देता हूं. मैं उसी धर्म में शामिल अपने को गौरवान्वित महसूस करता हूं.

Continue reading

शिक्षा व स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाकर चीन आज इस मुकाम तक पहुंचा

2000 में जहां शिक्षा में चीन का बजट मात्र 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, वह 2025 में बढ़कर 800 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है और स्वास्थ्य में यह बजट 54 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 1400 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है. इस प्रकार इन 25 वर्षों में चीन ने अपनी शिक्षा में 26 गुणा तो स्वास्थ्य में लगभग 25 गुणा संसाधनों में वृद्धि की है. परिणाम स्वरूप आज विश्व के 10 शीर्ष शोध संस्थानों में 9 चीन के हैं और एक अमेरिका का. इस प्रकार चीन के चातुर्दिक विकास की कहानी से यह तथ्य साबित होता है कि किसी भी राष्ट्र की उन्नति उस राष्ट्र के मानव संसाधन की उन्नति किए बगैर संभव नहीं.

Continue reading

मीडियाः हिंसा दिखाते हैं, प्रेम नहीं- डर बेचते हैं, दिशा नहीं

यह दरअसल न्यूज ही नहीं  है- यह एक सोची-समझी बाजार-नीति है. आज का कॉरपोरेट मीडिया निजी हाथों में है. बाजार के हाथों में खेल रहा है. सभी को पता है. ये सब मिलकर भारतीय समाज की वैवाहिक संस्था, पारिवारिक विश्वास और नैतिक जड़ों को तोड़ना चाहता है. क्योंकि टूटे हुए लोग, बंटे हुए रिश्ते- “माइक्रो consumer ” बनते हैं. हर अकेला इंसान एक नया ग्राहक है- जो अकेलापन मिटाने के लिए ज्यादा खरीदेगा, ज्यादा देखेगा, ज्यादा झुकेगा.

Continue reading

बौने कद का निकला ‘महान’ तेंदुलकर!

‘यूपीए’ सरकार की कुछ गलतियों की सूची बनानी हो, तो मैं सचिन को ‘भारतरत्न’ सम्मान देने और राज्यसभा में मनोनीत करने को सबसे ऊपर गिनूंगा! मैं अपेक्षा कर रहा था कि सचिन इस तरह के सम्मान, खास कर राज्यसभा की सदस्यता लेने से खुद विनम्रतापूर्वक इनकार कर देगा. मगर ऐसा नहीं हुआ!  मुझे नहीं पता कि राज्यसभा की बैठकों में वह कितनी बार शामिल हुआ, बहस में कोई सार्थक योगदान तो दूर की बात है.

Continue reading

कितना बदल गया इंसान! स्विस बैंक, काला धन, अखबार, टीवी -तब और अब

12 साल पहले तक स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि एक बड़ा मुद्दा हुआ करता था. अब नहीं. तब खूब चर्चा होती थी. अखबार में, टीवी पर, आपस में. हर जगह. अब एक चुप्पी है. सन्नाटा है. 19 जून को आयी खबर को क्या आपने पढ़ा ? पहले पन्ने पर या 15वें, 19वें पन्ने पर ? ब्रेकिंग न्यूज में देखा ? कहीं कोई डिबेट ? नहीं. मीडिया की चुप्पी को समझिए. मीडिया चुप है, इसलिए आप-हम भी चुप हैं. ना वाट्सएप पर कोई मैसेज है, ना सोसाईटी में कोई चर्चा.

Continue reading

वह इजराइल और यह इजराइल!

बेशक इजराइल के सभी नागरिक नेतनयाहू जो कर रहा है, उससे सहमत नहीं होंगे, उसके खिलाफ आंदोलन चलता भी रहा है !  फिर भी नेतनयाहू को इजराइल के लोगों ने चुना है, तो उसके कुकृत्य की जवाबदेही उन पर भी आयेगी ही. उसकी बेशर्मी और उसका दुस्साहस देखिये कि खुलेआम कह रहा है कि ईरान के राष्ट्रपति खामेनेई की हत्या करना हमारा लक्ष्य है !और ट्रंप उसके साथ है, जो पूरी दुनिया को अपनी मिल्कियत समझने लगा है!

Continue reading

साइप्रस को कितना जानते हैं, वह कितना महत्वपूर्ण है !

.. तो जान लीजिये हमारे लिए साइप्रस कितना महत्वपूर्ण है. यह यूरोपियन कंटिनेंट का एक देश है और साइप्रस की आबादी सिर्फ 13.4 लाख है. इस हिसाब से यह दुनिया का 161वां देश है. इससे अधिक जनसंख्या तो हमारे देश की 100 से अधिक शहरों की है.

Continue reading

भूल गए ! गलवान में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत की 5वीं बरसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब सर्वदलीय बैठक में कहा था- ना वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है. आज पांच साल बाद भी ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि चीन हमारी जमीन पर घुसा हुआ है. लेकिन लाल आंख दिखाने का दावा करने वाले आंखें मूंदे हैं.

Continue reading

भारत की महिलाओं को जानना चाहिए, कौन है ग्रेटा थनबर्ग

क्या आप अपने परिवार में ऐसी किसी ग्रेटा को बर्दाश्त करेंगे? कर भी लें तो क्या समाज को मंजूर है? ऑफिस, सड़क, मॉल, फैक्ट्री या दुकान में? नहीं. क्योंकि हर जगह वह कब्जा तोड़ना चाहेगी.

Continue reading

भारतीय TV मीडिया की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और पेशेवर जवाबदेही पर गंभीर सवाल

7 जून को वॉशिंगटन पोस्ट ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें यह उजागर किया गया है कि भारत के प्रमुख न्यूज चैनलों ने 9 मई की रात पाकिस्तान में तख्तापलट और युद्ध जैसी मनगढ़ंत खबरें फैलाईं, जो पूरी तरह झूठी साबित हुईं. रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह व्हाट्सएप संदेशों, अज्ञात सूत्रों और सोशल मीडिया अफवाहों के आधार पर भारतीय मीडिया ने एक काल्पनिक युद्ध का तानाबाना बुना, जिसे न तो सेना ने पुष्टि की और न ही सरकार ने. यह रिपोर्ट भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और पेशेवर जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है. आप भी पढ़ें...

Continue reading