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साइप्रस को कितना जानते हैं, वह कितना महत्वपूर्ण है !

Lagatar Desk

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे पर हैं. वह तीन देशों के दौरे पर हैं. उनका पहला ठिकाना साइप्रस है. साइप्रस ने प्रधानमंत्री मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिकता सम्मान दिया है. इसे लेकर भाजपा कुछ ज्यादा ही उत्साहित है.

 

सोशल मीडिया पर भाजपा के धुरंधर आंकड़ा देकर बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया के इतने देशों ने सर्वोच्च नागरिकता सम्मान दिया है, वहीं कांग्रेस के धुरंधर यह बताने में लगे हैं कि नेहरु के नाम पर कितने देशों ने डाक टिकट जारी किया. ऐसे समय में साइप्रस के बारे में जानना दिलचस्प होगा.

 

तो जान लीजिये हमारे लिए साइप्रस कितना महत्वपूर्ण है. यह यूरोपियन कंटिनेंट का एक देश है और साइप्रस की आबादी सिर्फ 13.4 लाख है. इस हिसाब से यह दुनिया का 161वां देश है. इससे अधिक जनसंख्या तो हमारे देश की 100 से अधिक शहरों की है.

 

साइप्रस 16 अगस्त 1960 को स्वतंत्र हुआ. इसकी राजधानी निकोसिया है. यहां के लोग ग्रीक व तुर्कीस भाषा बोलते-पढ़ते हैं. आज की तारीख में यहां का कुल जीडीपी 22.703 बिलियन डॉलर की है और प्रति व्यक्ति आय 29,830 डॉलर है. प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह दुनिया का 29वां देश है.

 

वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह लिखते हैं- भारत के साथ साइप्रस के संबंधों पर गौर करें तो दोनों देशों के बीच सकल व्यापार सलाना करीब 1200 करोड़ रुपया है. दोनों देशों के बीच व्यापार का यह आंकड़ा भाजपा का सलाना पार्टी चलाने का आधिकारिक खर्च से भी कम है. उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार का प्रचार बजट भी इससे इधिक है.

 

साइप्रस की आर्थिक मॉडल की बात करें तो कुछ साल पहले तक वहां कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता था. तब भारत के अफसरों और व्यापारियों के काले धन को सुरक्षित रखने का एक अड्डा साइप्रस को भी माना जाता था. 

 

आज भी तमाम ऐसे लोग जिन पर भारत से अवैध तरीके से धन ले जाकर वैध बनाने के लिए विशेषज्ञ होने के आरोप लगते रहते हैं, उनका वित्तीय कारोबार साइप्रस में है.

 

यह भी एक संयोग ही है कि भारत के सबसे बड़े उद्योगपति गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का भी साइप्रस में बड़ा कारोबार है. वही विनोद अडानी, जिन पर हिंडेनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में मनी लांड्रिंग का लीडर बताया था.