Surjit Singh
Ranchi: देश में नफरत का माहौल कम होता नहीं दिख रहा है. केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व उसके समर्थक इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट (APCR) ने अपने एक ताजा अध्ययन में पाया है कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले साल में कम से कम 947 नफरती अपराध हुए हैं.
एपीसीआर की रिपोर्ट बताती है कि नफरती अपराध की सबसे अधिक घटना जिन राज्यों में अधिक हुए हैं, उनमें टॉप के तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तराखंड व राजस्थान में भाजपा की सरकार है. जबकि चौथे स्थान पर झारखंड है, जहां आठ माह पहले विधानसभा चुनाव हुए. चुनाव के आसपास नफरती अपराध में बढ़ोतरी हुई.
अल्प संख्यकों के खिलाफ हुए अपराध (Hate crime) में सबसे पहला नंबर मध्य प्रदेश का है. वहां एक साल में 100 नफरती अपराध हुए. इस मामले में दूसरा स्थान उत्तराखंड (84) और तीसरा स्थान राजस्थान (60). चौथा स्थान पर झारखंड है, यहां 52 नफरती अपराध की घटनाएं हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा शासित राज्यों में नफरती अपराध की घटनाएं ज्यादा हुई हैं. एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट (APCR) ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है. APCR ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए अपराध के आंकड़ो को जुटाने के लिए टीवी, सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का सहारा लिया है.
APCR ने Hate crime की श्रेणी में नफरत फैलाने वाले भाषणों और धार्मिक पहचान के आधार पर पैदा हुए विद्वेष के कारण हुए अपराधों को रिपोर्ट में शामिल किया है. रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़े में जून 2024 से जून 2025 के बीच हुई घटनाओं को शामिल किया गया है.
APCR की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के तीसरे कार्यालय में कुल 947 नफरती अपराध हुए. इसमें से 345 अपराध नफरती भाषणों से संबंधित थे. जबकि 602 ऐसे नफरती अपराध हुए जिसमें अल्पसंख्यक समूह के व्यक्तियों या समुदाय को किसी ना किसी तरह से प्रताड़ित किया गया.
अल्पसंख्यक समुदान को प्रताड़ित करने वाले 602 अपराधों में से 173 घटनाओं में हिंसा भी हुआ है. इन घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की मौत हो गयी. जून 2024 से जून 2025 के बीच हुए इन अपराधों में 25 हिन्दू भी प्रभावित हुए. हालांकि हिन्दू समुदाय के प्रभावित लोग नफरती अपराध के शिकार नहीं थे. घटना स्थल पर उनकी मौजूदगी के कारण उन्हें या उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा.
नफरती भाषणों से संबंधित 345 घटनाओं में से 178 घटनाओं में भारतीय जनता पार्टी से संबंधित लोग शामिल थे. रिपोर्ट मे कहा गया है कि नफरती अपराध की घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में अधिक हुई है. लोकसभा से लेकर स्थानीय निकाय के चुनाव के दौरान नफरती भाषण ज्यादा हुए.