Pankaj Chaturvedi
15 जून 2020 की रात लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. यह घटना उस समय हुई जब दोनों सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रही थीं. इस संघर्ष में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, जिनमें कर्नल संतोष बाबू भी शामिल थे. यह 1975 के बाद भारत-चीन सीमा पर सबसे गंभीर टकराव था.
चीन ने भी अपने सैनिकों के हताहत होने की बात स्वीकार की थी, हालांकि उसने अपने नुकसान के आंकड़े बहुत देर से और सीमित रूप में सार्वजनिक किए. यह झड़प हथियारों के बिना, लेकिन बेहद हिंसक और घातक तरीके से हुई थी, जिसमें लोहे की रॉड, कीलें लगी लाठियां और पत्थरों का उपयोग हुआ.
संघ व भाजपा का राष्ट्रवाद असल में भारत देश से नहीं, बल्कि मुस्लिम नफरत तक सीमित होता है सो केवल पाकिस्तान के नाम पर ही उछलता है. यही कारण है कि इस तारीख को वो भूल गए हैं. पर, क्या राष्ट्रवाद की रथ पर सवार बहुसंख्यक को यह तारीख याद है.
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब सर्वदलीय बैठक में कहा था- ना वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है. आज पांच साल बाद भी ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि चीन हमारी जमीन पर घुसा हुआ है. लेकिन लाल आंख दिखाने का दावा करने वाले आंखें मूंदे हैं.
चीन-भारत के बीच विवाद को समझें
फिंगर एरिया विवाद
पैंगोंग त्सो झील के उत्तर में ‘फिंगर 4’ से ‘फिंगर 8’ तक का क्षेत्र विवादित बना हुआ है. भारत का दावा है कि सीमा फिंगर 8 तक है, जबकि चीन फिंगर 4 तक दावा करता है. वर्तमान में दोनों सेनाएं ‘फिंगर 3’ और ‘फिंगर 8’ के बीच ‘बफर ज़ोन’ में पेट्रोलिंग नहीं कर रही हैं.
देपसांग और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स
देपसांग के मैदानों में चीन ने 2013 से धीरे-धीरे भारतीय पेट्रोलिंग को बाधित करना शुरू कर दिया था. अब भी चीन यहां भारत के पारंपरिक पेट्रोलिंग पॉइंट्स (PP10, PP11, PP12, PP13) तक जाने से रोक रहा है. गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया हुई है लेकिन वहां भी 'बफर ज़ोन' बन चुका है.
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की स्थिति
LAC पर तनाव अब भी बना हुआ है. दोनों पक्षों ने बड़ी संख्या में सैनिक, टैंक, आर्टिलरी और अन्य सैन्य संसाधन तैनात कर रखे हैं. अनेक दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन पूर्ण समाधान नहीं हुआ है.
कूटनीतिक प्रयास
भारत ने साफ कहा है कि सीमा पर शांति द्विपक्षीय संबंधों का आधार है. कई बार चीन द्वारा व्यावसायिक रिश्ते बढ़ाने की कोशिशें हुई हैं, लेकिन सीमा विवाद की वजह से विश्वास का संकट बना हुआ है. गलवान संघर्ष के बाद भारत और चीन के रिश्तों में एक स्थायी तनाव की रेखा खिंच गई है. सीमा पर ‘स्थिति यथावत’ (Status Quo) की पुनर्स्थापना अभी भी पूरी तरह नहीं हो पाई है. भारत के सैनिक अब पहले से कहीं अधिक सतर्क हैं और चीन के प्रति भारत की रणनीति अब 'विश्वास नहीं, सत्यापन' (Trust but Verify) की हो गई है.
गलवान संघर्ष और भारत-चीन सीमा विवाद टाइमलाइन
मई 2020
पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में चीन की पीएलए सेना द्वारा घुसपैठ की खबरें आती हैं. पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और देपसांग क्षेत्रों में टकराव की स्थिति बनती है. भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़पें शुरू होती हैं.
6 जून 2020
चुशुल में कोर कमांडर स्तर की पहली बैठक होती है. सेनाओं के पीछे हटने पर प्रारंभिक सहमति बनती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका पालन ठीक से नहीं होता.
15 जून 2020- गलवान संघर्ष
गलवान घाटी में हिंसक झड़प. भारत के 20 सैनिक शहीद, जिनमें कर्नल संतोष बाबू भी शामिल. चीन ने भी हताहतों की बात स्वीकारी, लेकिन सही आंकड़ा छिपाया. यह 45 वर्षों में भारत-चीन सीमा पर सबसे गंभीर हिंसा थी.
16-30 जून 2020
देशभर में चीन विरोधी आंदोलन. भारत सरकार ने चीनी ऐप्स (TikTok, WeChat सहित) पर प्रतिबंध लगाना शुरू किया. सैन्य स्तर पर तनाव चरम पर पहुंचा.
जुलाई-अगस्त 2020
चीन गलवान, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और पैंगोंग त्सो क्षेत्रों में पीछे हटने में आनाकानी करता है. भारत LAC के पास सैनिकों, टैंक और मिसाइल तैनाती बढ़ाता है.
29-30 अगस्त 2020
भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे की ऊंची चोटियों (काला टॉप, हेल्मेट टॉप) पर कब्जा कर सामरिक बढ़त बना ली.
सितंबर 2020
दोनो सेनाओं के बीच चेतावनी में हवाई फायरिंग होती है, जो 1975 के बाद पहली बार था.
फरवरी 2021
दोनों देशों के बीच सीमित समझौता. पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण किनारे से सेनाएं पीछे हटीं. लेकिन देपसांग और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स पर विवाद जारी.
अगस्त 2021
गोगरा से भी सेनाएं पीछे हटीं, लेकिन वहां ‘बफर ज़ोन’ बनाया गया जहां भारत अब पेट्रोलिंग नहीं कर पाता.
2022 - 2023
देपसांग, डेमचोक, और कुछ अन्य क्षेत्रों में गतिरोध बरकरार. चीन ने अपने इलाके में बुनियादी ढांचे (सड़कों, पुलों, हेलीपैड्स) का तेजी से निर्माण किया. भारत ने भी सीमा पर सड़कें, सुरंगें और हवाई पट्टियों को तेजी से विकसित किया.
दिसंबर 2022- तवांग झड़प
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच फिर झड़प हुई. कोई हताहत नहीं, लेकिन बड़ी संख्या में सैनिक घायल हुए.
2023 - 2024
कोर कमांडर स्तर की बैठकें जारी. सीमित क्षेत्रों में विवाद सुलझा, लेकिन देपसांग और डेमचोक में तनाव बना रहा.
2025 तक वर्तमान स्थिति
फिंगर एरिया में 'बफर जोन' अब भी बना हुआ है. देपसांग में चीन भारतीय पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक पहुंचने से रोक रहा है. सीमा पर सैन्य तैनाती अब भी भारी है. कूटनीतिक स्तर पर संवाद जारी लेकिन ठोस समाधान नहीं.
यह सब इस लिए याद दिलाया कि सरकार और उसके समर्थक ना खुद इस तारीख (15 जून 2020) को न याद करेंगे न आपको याद करने देंगे.
गलवान के शहीदों को शृद्धाजंलि.
जय हिंद.