Surjit Singh
नफरती भाषण देने वालों में समाज का प्रबुद्ध वर्ग माने जाने वाला समूह भी शामिल है. इसमें राजनीतिज्ञों, न्यायाधीशों, धार्मिक नेता और पत्रकार शामिल हैं. नफरती भाषण देने वाले राजनीतिज्ञों में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक शामिल है.
ग्रामीण स्तर की बात करें तो नफरती भाषण देने वालों में गांव के सरपंच तक शामिल है. इससे देश में फैले नफरत के माहौल को समझा जा सकता है. नफरती भाषण देने वालो में भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे है. एसोसियेशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स(APCR) की रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है.
APCR की रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि जून 2024 से जून 2025 तक की अवधि में नफरती भाषण के कुल 345 मामले सामने आये. इसमें से 109 नफरती भाषण का संबंध राजनीतिक दल से संबंधित संगठन जैसे विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल आदि से है.
अपने तीसरे कार्यकाल में देश के प्रधानमंत्री ने भी अपने भाषणों में पांच बार नफरती भाषण दिये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में हुए चुनाव के दौरान रैलियों में तीन नफरती भाषण दिये.
नफरती भाषणों का ब्योरा
राजनीतिक दल व संबंधित लोग | 09 |
प्रधानमंत्री द्वार दिये गये नफरती भाषण | 05 |
न्यायाधीशों द्वारा दिये गये नफरती भाषण | 02 |
मुख्यमंत्रियों द्वारा दिये गये नफरती भाषण | 63 |
जन प्रतिनिधियों द्वारा दिये गये नफरती भाषण | 71 |
राज्यपाल द्वारा दिये गये नफरती भाषण | 01 |
धार्मिक नेताओं द्वारा दिये गये नफरती भाषण | 42 |
भीड़ द्वारा दिये गये नफरती भाषण | 10 |
पत्रकारों द्वारा दिये गये नफरती भाषण | 07 |
स्थानीय लोगों द्वारा दिये गये नफरती भाषण | 02 |
नफरती भाषण देने के मामले में मुख्यमंत्रियों की बात करें, तो भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने एक साल के दौरान कुल 63 बार नफरती भाषण दिये. इसमें से 17 नफरती भाषण भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने झारखंड में चुनाव के दौरान दिये.
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के अलावा चुने हुए अन्य जनप्रतिनिधी (राजनेता) भी नफरती भाषण देने में पीछे नहीं रहे. रिपोर्ट के मुताबिक जनता वारा चुने गये जनप्रतिनिधियों ने एक साल के दौरान विभिन्न स्थानों पर 71 नफरती भाषण दिये.
चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अलावा दो न्यायाधीशों और एक राज्यपाल ने भी नफरती भाषण दिये हैं. जिन पर नफरत के माहौल को समाप्त करने की जिम्मेवारी है, जब वही नफरती भाषण देने में आगे बढ़ करके हिस्सा ले, तो इसकी गंभीरता और अल्पसंख्यकों के सामने पैदा हुई स्थिति का समझा जा सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस एक साल की अवधि में राजनीतिज्ञों द्वारा कुल 257 नफरती भाषण दिये गये. इसमें से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने 178 नफरती भाषण दिये. विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोगों से जुड़े लोगों ने 21 और बजरंग दल से जुड़े लोगों ने 20 नफरती भाषण दिये.
इसी तरह शिव सेना से चार, आरएसएस ने दो, अखिल भारतीय हिंदू महासभा और अखिल भारतीय हिंदू महासभा त्रिडांडी से जुड़े लोगों ने एक-एक नफरती भाषण दिये हैं. इसके अलावा भगवा क्रांति मोचा, धर्म रक्षा संघ, दुर्गा वाहिनी, हिंदू रक्षा दल और काली सेना ने दो-दो नफरती भाषण दिये.