रांची/ कोयंबटूर: कोरोनाकाल में प्रवासी मजदूरों की स्थिति देश भर में दयनीय हो गयी थी. वे दाने-दाने को मोहताज थे. ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार ने अपने यहां के प्रवासी कमगारों की मदद के लिए हर संभव प्रयास किया. लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद एक बार फिर राज्य की श्रम शक्ति पर बिचैलियों और लेबर कांट्रेक्टरों की कुदृष्टि पड़ी है. दलालों के माध्यम से झारखंड के कामगारों को अच्छे वेतन के नाम पर दूसरे राज्यों में ले जाया जा रहा है और वहां उनके साथ अमानवीय सलूक किया जा रहा है. इस पूरे मामले में श्रम सचिव प्रवीण टोप्पो से संपर्क साधा गया पर उनसे बात नहीं हो पायी.
ऐसा ही मामला तमिलनाडु के कोयंबटूर में सामने आया है. जहां झारखंड की 24 लड़कियां काम और अच्छे वेतन की तलाश में गयी थीं, लेकिन उन्हें मिला धोखा. सरायकेला-खरसावां एवं पश्चिम सिंहभूम के सुदूर ग्रामीण इलाकों की ये लड़कियां लौटना चाहती हैं, लेकिन पैसों के अभाव में घर नहीं आ पा रहीं. लगातार.इन ने इन लड़कियों से वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से बात की. इन सभी 24 लड़कियों को सिलाई सेंटर में काम देने और 12 हजार वेतन देने का वादा कर दलाल कोयंबटूर ले गये.
इन लड़कियों के अनुसार ओडिशा का एक लेबर कांट्रेक्टर, पटेल 3 अक्टूबर को उन्हें सिलाई सेंटर में काम दिलाने के नाम पर कोयंबटूर अपने किराये पर ले गया. लड़कियों को 12 हजार वेतन देने का वादा भी किया गया था. लेकिन कोयंबटूर ले जाकर उन्हे धागा कंपनी में काम पर लगा दिया गया. दिन की शिफ्ट के बदले उनसे 12 घंटे की लाइट शिफ्ट में काम कराया जाता है. वेतन भी 12 हजार की बजाय 3 से 5 हजार दिया जा रहा है. रहने-खाने के नाम पर पैसे काट लिये जा रहे हैं. ये लड़कियां जमीन पर चटाई बिछाकर सोने को विवश हैं. लड़कियों ने बताया कि बीमार होने पर भी उनसे काम लिया जाता है. पीड़ित और परेशान लड़कियां अब अपने घर वापस आना चाहती हैं. उनके पास आने के पैसे भी नहीं हैं. जिस स्थान पर वह रही थीं, उन्हें वहां से निकाल भी दिया गया है. रायमुनि हेंब्रम, जयंती, मरियम, , राधिका, मनीषा जैसी 24 लड़कियों को अव अपने घर लौटने का इंतजार है.
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“हम लोगों के साथ नाइंसाफी हो रही है. दलाल हम लोगों को काम दिलाने के नाम पर ले आये हैं. हम लोग घर वापस जाना चाहते थे, लेकिन रोक के काम लिया गया. दबाव बनाने पर घर जाने की अनुमति दी, लेकिन हमारे पास पैसे नहीं है. हम जहां रह रहे थे, वहां से निकल दिया गया हैं. रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं है.”
-रायमुनि हेंब्रम