सीएम ने सिर्फ एक बार 20 सूत्री के गठन को लेकर की बैठक, लेकिन कोई फैसला नहीं
2019 के बाद खाली हुए अध्यक्ष पदों पर दो साल से अबतक कोई अध्यक्ष नहीं बना
सूचना आयोग, महिला आयोग, बाल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण आयोग का अध्यक्ष पद खाली
20 सूत्री उपाध्यक्ष, आरआरडीए और आवास बोर्ड बिना अध्यक्ष के चल रहा
Satya Sharan Mishra
Ranchi: झारखंड के 35 बोर्ड, निगम, आयोग और समिति में अध्यक्ष का पद सालों से खाली है. कई आयोग में सदस्य और अध्यक्ष का पद 8-10 साल से खाली है. रघुवर सरकार के समय 60 फीसदी बोर्ड-निगम और आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति हुई थी. उनका कार्यकाल समाप्त हो गया, लेकिन हेमंत सरकार ने पिछले डेढ़ साल में निगम-बोर्ड की नियुक्ति में दिलचस्पी नहीं दिखाई. बोर्ड, निगम, आयोग और समिति में अध्यक्ष पद के लिए सरकार बनने के बाद से लॉबिंग चल रही है. पद पाने की रेस में जेएमएम-कांग्रेस के कई नेता लगे हुए हैं. डेढ़ साल में सरकार ने सिर्फ एक बार 20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के गठन को लेकर बैठक की. करीब 6 महीने पहले हुए इस बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह, मंत्री रामेश्वर उरांव और आलमगीर आलम समेत कई नेता शामिल हुए थे. बैठक बेनतीजा रही. फिर दूसरी बैठक अबतक नहीं हुई.
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नेताओं की नाराजगी के डर से विकास बाधित
बोर्ड-निगम, आयोग और समिति में मनोनीत अध्यक्ष और सदस्यों के नहीं होने के कारण या तो इनके काम एमडी या सचिव देख रहे हैं, या फिर काम ठप पड़ा हुआ है. अध्यक्ष के नहीं होने से कई नीतिगत फैसले नहीं लिये जा पा रहे हैं. राज्य में कई महत्वपूर्ण बोर्ड-निगम और आयोग है जो पिछले 2 साल से अध्यक्ष विहीन हैं. सरकार में शामिल कांग्रेस और जेएमएम के विधायक इस इंतजार में हैं कि उन्हें मंत्री पद नहीं मिला तो कम से कम बोर्ड-निगम ही तो सरकार दे दें, लेकिन सरकार इसलिए भी अभी इस पचड़े में नहीं पड़ना चाह रही कि कांग्रेस और जेएमएम के पास पद की रेस में सैकड़ों नेता हैं. अगर एक को पद मिला तो दूसरा नाराज होगा. बगावत और हंगामे के काफी आसार हैं. इस वजह से हेमंत भी इसमें हाथ डालने से परहेज कर रहे हैं.
कांग्रेस-जेएमएम के कई नेता पद के लिए कर रहे लॉबिंग
कांग्रेस के कई नेता बोर्ड-निगम के पद के लिए लॉबिंग कर रहे हैं, लेकिन इस बारे में कोई खुलकर नहीं रहा. प्रवक्ता आलोक दुबे कहते हैं कि यह पार्टी नेतृत्व का विषय है वो ही कुछ कह सकते हैं. दूसरे प्रवक्ता समशेर आलम का कहना है कि बोर्ड-निगम और आयोग के पुनर्गठन के लिए गठबंधन में कोई ठोस बातचीत नहीं हुई है. बस एक बार 20 सूत्री को लेकर सीएम और कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई थी.
रघुवर सरकार में कई बोर्ड-निगम और आयोग में बने अध्यक्ष
बीजेपी के पूर्व विधायक एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर उरांव का कहना है कि बोर्ड-निगमों में इतने सालों तक अध्यक्ष का पद खाली रहना काफी चिंता का विषय है. रघुवर सरकार से पहले जब हेमंत सोरेन की सरकार थी तब भी कई बोर्ड-निगम और आयोग में अध्यक्ष के पद खाली थे. रघुवर सरकार ने महत्वपूर्ण बोर्ड-निगमों में अध्यक्षों को बहाल किया और काम सुचारू रूप से शुरू हुआ. दरअसल पार्टी के अंदर पद की रेस में कई नेता होते हैं. ऐसे में सरकार किसे पद दे यह तय करना बड़ा मुश्किल होता है.
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2019 से खादी बोर्ड अध्यक्ष विहीन
रांची के सांसद संजय सेठ 26 जून 2016 को झारखंड खादी बोर्ड के अध्यक्ष बनाये गये थे. 2019 में उन्होंने खादी बोर्ड के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया. उसके बाद से अबतक बोर्ड अध्यक्ष विहीन है. खादी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जयनंदू एक बार फिर अध्यक्ष पद पाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. संजय सेठ के कार्यकाल में खादी को काफी प्रमोट किया गया था, लेकिन 2 साल से स्थिति बिगड़ रही है.
कल्याणी शरण के बाद महिला आयोग में कोई अध्यक्ष नहीं
रघुवर सरकार के समय कल्याणी शरण को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था उनके साथ दो सदस्य पूनम प्रकाश और शर्मिला सोरेन का भी कार्यकाल खत्म हो चुका है. कल्याण 7 जून 2017 से 7 जून 2020 तक आयोग की अध्यक्ष थीं. इस दौरान उनके 3 साल के कार्यकाल में आयोग में 4795 मामले दर्ज किये गये थे. अब अध्यक्ष का पद खाली होने के कारण पिछले 1 साल से हजारों मामले पेंडिंग हैं.
बाल संरक्षण आयोग में मामलों की सुनवाई ठप
झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग में अध्यक्ष का पद अप्रैल 2020 के बाद से खाली है. आरती कुजूर आयोग के अध्यक्ष के तौर पर काम कर रही थीं. 22 अप्रैल 2020 को उनका और तीन और सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया. उसके बाद से यह आयोग अध्यक्ष और सदस्य विहीन हो गया है. इसकी वजह से बच्चों से जुड़े आपराधिक और गैर आपराधिक मामलों की सुनवाई ठप हो चुकी है.
सूचना आय़ोग में हजारों अपील पेंडिंग
हिमांशु शेखर का कार्यकाल खत्म होने के बाद झारखंड सूचना आयोग में भी सूचना आयुक्त का पद खाली है. 19 मई 2015 को हिमांशु शेखर सूचना आयुक्त बने थे. 30 नवंबर 2019 को उनका कार्यकाल खत्म हुआ. इस दौरान आयोग में 29832 मामलों की सुनवाई हुई. सूचना आयोग में हर महीने करीब 500 अपील पहुंचते हैं. आयुक्त के नहीं होने के कारण हजारों अपील पेंडिंग पड़े हैं.
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20 सूत्री का पुनर्गठन नहीं होने से विकास बाधित
राकेश प्रसाद को 20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति का उपाध्यक्ष सितंबर 2016 में बनाया गया था. साथ ही 50 सदस्य भी मनोनीत हुए थे. उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद जिलों में विकास की गति पर ब्रेक लग गया है. 20 सूत्री के पुनर्गठन को लेकर हेमंत सरकार ने पहल की, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चला गया.
इन बोर्ड-निगम, आयोग, समितियों में खाली है अध्यक्ष का पद
20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वय समिति
निगरानी पर्षद
खनिज विकास निगम
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
वन विकास निगम लिमिटेड
पर्यटन विकास निगम
राज्य विकास परिषद
आरआरडीए
खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार, धनबाद
राज्य आवास बोर्ड
कृषि विपणन परिषद
बाल संरक्षण आयोग
जेरेडा
झालको
तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड
धार्मिक न्यास बोर्ड
श्वेताबंर जैन न्यास बोर्ड
विधि आयोग
मानवाधिकार आयोग
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग
राज्य अल्पसंख्यक आयोग
पहाड़ी क्षेत्र उद्वाह सिंचाई निगम लिमिटेड
प्रावैद्यिक शिक्षा परिषद
ग्रामीण पथ विकास प्राधिकरण
भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड
सैरात रेमिशन कमेटी
समाज कल्याण बोर्ड
राज्य महिला आयोग
खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड
झारक्राफ्ट
माटी कला बोर्ड
पिछड़ा वर्ग आयोग
झारखंड सूचना आयोग
लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड
झारखंड शिक्षा न्य़ायाधिकरण