- हिंदुत्व और राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी को देश की राजनीति के मुख्य धारा में लेकर आयी
- शून्य से शिखर तक पहुंचने के लिए बीजेपी ने किया कई संघर्ष और प्रयोग
- 2004 के बाद अटल-आडवाणी का खोजा जा रहा था विकल्प, मोदी बनकर उभरे सबसे बड़े नेता
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भाजपा का नाम भारतीय जनसंघ पार्टी रखना चाहते थे कुछ नेता
पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपने आत्मकथा `मेरा देश, मेरा जीवन` में पार्टी के झंडे से लेकर नाम तक के बारे में बताया है. उन्होंने लिखा है कि कुछ लोग इसे भारतीय जनसंघ का नाम देना चाहते थे. पर बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के दिए गए नाम `भारतीय जनता पार्टी` को भारी समर्थन मिला. आडवाणी ने बताया है कि कैसे जनसंघ के टुकड़े हुए और बीजेपी बनी. उन्होंने लिखा है कि जनता पार्टी के भीतर संघ विरोधी अभियान ने 1980 के लोकसभा चुनावों में कार्यकर्ताओं के उत्साह को ठंडा कर दिया था. इससे स्पष्ट रूप से कांग्रेस को लाभ हुआ और चुनावों में इसने जनता पार्टी के प्रदर्शन को गिराने का प्रयास किया.जनसंघ के पूर्व सदस्यों को निष्कासित करने का प्रस्ताव हुआ था पास
आडवाणी ने लिखा है कि 4 अप्रैल को जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक अहम बैठक नई दिल्ली में निश्चित की गई, जिसमें दोहरी सदस्यता के बारे में आखिरी फैसला लिया जाना था. मोरारजी देसाई और कुछ अन्य सदस्यों ने हमें पारस्परिक समझौते की स्वीकार्यता के आधार पर जनता पार्टी में बनाए रखने का अंतिम प्रयास किया. परंतु भविष्य लिखा जा चुका था. जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने समझौते फॉर्मूले को 14 की तुलना में 17 वोटों से अस्वीकार कर दिया और प्रस्ताव पारित किया गया कि पूर्व जनसंघ के सदस्यों को निष्काषित कर दिया जाए." इसे भी पढ़ें -स्मृति">https://english.lagatar.in/smriti-shesh-bandi-oraon-self-government-movement-leader-of-jharkhand/45994/">स्मृतिशेष : झारखंड में स्वशासन आंदोलन के पुरोधा बंदी उरांव
जगजीवन राम जनता पार्टी छोड़ कांग्रेस (यू) में हो गये थे शामिल
विचित्र संयोग था कि अगले ही दिन जगजीवन राम जनता पार्टी को छोड़कर वाई वी चव्हाण के नेतृत्ववाली कांग्रेस (यू) पार्टी में शामिल हो गए. चरण सिंह ने पहले ही पार्टी छोड़ दी थी. मूल जनता पार्टी में जो लोग बचे थे, वे बस अवशेष थे, जिसकी अध्यक्षता चंद्रशेखर कर रहे थे. कई आलोचक पार्टी का मजाक उड़ाने लगे. इसके बाद दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में 5-6 अप्रैल, 1980 के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में 3, 500 से अधिक प्रतिनिधि एकत्र हुए और 6 अप्रैल को एक नए राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन की घोषणा की गई. अटल बिहारी वाजपेयी को इसका पहला अध्यक्ष चुना गया. लालकृष्ण आडवाणी, सिकंदर बख्त और सूरजभान को महासचिव की जिम्मेदारी दी गई.हिंदुत्व और राम मंदिर के मुद्दे से बीजेपी मुख्य धारा में आयी
एक समय था जब बीजेपी गांधी के आदर्शों पर चलने की बात करते हुए राजनीति करती थी. 1984 के लोकसभा चुनाव में केवल दो सीटें जीतने के बाद, पार्टी हिंदुत्वक की तरफ आकर्षित हुई. राम जन्मभूमि को एजेंडा बनाकर वाजपेयी और आडवाणी की जोड़ी ने बीजेपी को मुख्यधारा की राजनीति में ला दिया. 1989 में बीजेपी ने 85 लोकसभा सीटें जीतीं, फिर 1991 में 120 सीटों पर कब्जा जमा लिया. वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी ने देश को पहली स्थाटयी गठबंधन की सरकार दी. इसे भी पढ़ें -जानें">https://english.lagatar.in/know-which-brewed-milind-soman-wifes-credit-given/45957/">जानेंकौन सा काढ़ा पी कर स्वस्थ हुए Milind Soman, पत्नी के दिया क्रेडिट
2004 के बाद नये दौर के नेताओं की खोज, मोदी बने विकल्प
2004 में बीजेपी के चुनाव हारने के बाद पार्टी में अगले दौर के नेताओं की खोज शुरू हो गई. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी जब बीजेपी वापसी नहीं कर सकी तो तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को जिम्मा सौंपा गया. 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी ने मोदी के चेहरे को आगे कर लड़ा. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने सर्वश्रेष्ठा प्रदर्शन किया और पहली बार अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में आ गई. पार्टी को 282 सीटें हासिल हुई थीं. फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और मजबूत हुई. 2019 में बीजेपी ने 303 सीटें जीतीं और मोदी फिर प्रधानमंत्री बने. अमित शाह जब भाजपा अध्यक्ष थे तो उन्होंने बीजेपी को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए अभियान शुरू किया. आज बीजेपी 18 करोड़ सदस्यी होने का दावा करती है.1989 में गठबंधन की सरकार में बीजेपी ने पहली बार चखा सत्ता का स्वाद
1989 के लोकसभा चुनाव के साथ ही देश में असल मायने में गठबंधन की राजनीति का दौर शुरू हुआ. कांग्रेस को रोकने के लिए पहली बार लेफ्ट, बीजेपी और जनता दल एक साथ आये. तत्कालीन राजीव गांधी सरकार बोफोर्स घोटाले से लेकर एलटीटीई और श्रीलंका सरकार के बीच गृह युद्ध तक कई मोर्च पर बुरी तरह से घिर चुकी थी. कांग्रेस छोड़कर जनता दल का गठन करने वाले वीपी सिंह विरोध का मुख्य चेहरा बनकर उभरे. 1989 में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन कांग्रेस ने विपक्ष में बैठने का फैसला लिया. जनता दल और दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर नेशनल फ्रंट की सरकार बनी. यह पहली बार था जब कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकने के लिए विचारों की विविधता के बावजूद दक्षिणपंथी पार्टी बीजेपी और वामपंथी पार्टियां एक साथ आई थीं. लेफ्ट और बीजेपी ने नेशनल फ्रंट सरकार को बाहर से समर्थन दिया और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे. इसे भी पढ़ें -दल-बदल">https://english.lagatar.in/party-changed-case-court-can-pronounce-verdict-on-babulals-petition-on-may-4/45990/">दल-बदलमामला- बाबूलाल की याचिका पर 4 मई को फैसला सुना सकता है कोर्ट
लालू ने आडवाणी का रथ रोका तो गिर गई वीपी सरकार
1991 में लाल कृष्ण आडवाणी ने राममंदिर के लिए रथयात्रा निकाली थी, जिन्हें लालू यादव ने बिहार में गिरफ्तार कर लिया था. इसके कारण बीजेपी ने जनता दल सरकार से समर्थन वापस ले लिया और 11 महीने में ही वीपी सिंह के नेतृत्व वाली नेशनल फ्रंट की मिलीजुली सरकार ने सदन में विश्वास मत खो दिया और सरकार गिर गई.1996 में 13 दिन में गिर गई थी अटलजी की सरकार
नब्बे के दशक में गठबंधन की राजनीति अपने पूरे सियासी उफान पर आ गई. देश में सरकारें बनने और गिरने का सिलसिला शुरू हो गया. उसी दौर में 1996 में बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी को केंद्र में रखकर नारा दिया `सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी`. इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी. 1996 में पहली बार बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार 13 दिन ही चल सकी और बहुमत के अभाव में गिर गई. इसे भी पढ़ें -कोरोना">https://english.lagatar.in/21-jharkhand-police-jawans-caught-in-corona/45980/">कोरोनाकी चपेट में आये झारखंड पुलिस के 21 जवान
1998 में गठबंधन के साथियों के साथ एनडीए का गठन
1998 में बीजेपी ने गठबंधन के साथी की तलाश शुरू की और तमाम क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर एनडीए का गठन किया. इसमें पंजाब में अकाली दल को साथ लिया गया. बिहार में समता पार्टी साथ आई. महाराष्ट्र में शिवसेना. दक्षिण भारत में तेलगु देशम पार्टी और ओडिशा में बीजू जनता दल भी एनडीए का हिस्सा बनी. इस दौरान बीजेपी ने ओडिशा में बीजेडी, आंध्र प्रदेश में तेलगु देशम पार्टी और जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉफ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बनाई. ऐसे ही महाराष्ट्र में 1996 में शिवसेना को समर्थन देकर सरकार बनवाई. पंजाब में अकाली दल को समर्थन देकर कांग्रेस को सत्ता में आने से रोका. https://english.lagatar.in/madhupur-by-election-splitting-minority-votes-will-not-happen-jmm-candidate-has-a-strategy-to-ensure-victory/45815/https://english.lagatar.in/today-bjps-foundation-day-all-the-workers-will-put-the-party-flag-in-their-homes/45778/
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