Sanjeet Yadav
Palamu : भले ही आज भारत ने हरेक क्षेत्र में विकास किया हो वहीं दूसरी ओर हमारे देश में तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत, टोना, सिद्धियां प्राप्त करने के लिए देवी मंदिर में तांत्रिक बाबा डेरा जमाये रहते हैं. हमारे समाज में अभी भी अंधविश्वास का छाया है. इसका सबसे बुरा उदाहरण डायन प्रथा है. डायन प्रथा हमारे समाज के लिए एक अभिशाप की तरह है. लोग जादू टोना और भूत-प्रेत में काफी विश्वास करते हैं. यही वजह है कि वे अंध-विश्वास में पड़ते भी हैं. यहां भूतों का मेला भी लगता है. झारखंड के पलामू जिले में दो बार नवरात्र के महीने में भूत मेला लगता है.
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लगता है भूत मेला, प्रशासन मौन
जहां भूतों का मेला लगता है, उसी जगह पर पुलिस की तैनाती भी की जाती है. प्रशासन भी इस संबंध में मौन रहता है. शायद परंपरा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन कोई कार्रवाई करने से बचता है. भूत मेला में भूत भगाने के साथ-साथ तंत्र-मंत्र और सिद्धियां भी प्राप्त की जाती है. यहां हर साल नवरात्र के अवसर पर सैकड़ों लोग भूत-प्रेत से मुक्ति पाने के लिए पहुंचते हैं. इसलिए यह स्थान देशभर में भूतों का मेला के नाम से ख्यातिप्राप्त है. यहां पर बिहार, झारखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश से लोग भूत भगाने और देवी मां की पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं.
मंदिर से कुछ दूर मजार, दोनों जगहों पर भूतों को भगाने का दावा
जिस जगह पर देवी मां का मंदिर है उसी जगह से कुछ दूर एक बाबा का मजार भी है. दोनों जगहों पर भूत भगाया जाता है. कहा जाता है कि जिस पर भूतों का साया है, वहां पर जाने के साथ ही झूमने लगता है. जिसे देखकर आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे. तांत्रिक-ओझा भूत भगाने का दावा करते हैं. विश्वास है कि थोड़ी देर पहले जिस पर भूत का साया रहता है वह बाद में पूरी तरह से ठीक हो जाता है. इस भूतों मेले में दूर-दूर से पहुंचे ओझा-गुणी भी पहुंचते हैं. नवरात्र के समय यहां पर भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है कि लोग साड़ियों और चादरों से तम्बू बनाकर यहां रहते हैं.
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भूतों के रोने की आवाज आने का दावा
इन जगहों पर रहने वाले लोगों का दावा है कि जब रात होती है तब आस-पास के इलाकों से भूतों के रोने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. इस स्थान पर लोग डर के कारण रहना पसंद नहीं करते हैं. यही कारण है कि आज भी हमारे आसपास के कई लोग कुछ घटित होने पर डॉक्टरों के पास ना जाकर पहले ओझा-गुणी और बाबा के पास जाते हैं.
अंधविश्वास में कई लोगों की हत्या
अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर कई लोगों की हत्या भी कर दी जाती है. और तो और किसी महिला के साथ छेड़खानी हो या जमीन लूट, सभी में डायन बताकर किसी असहाय महिला को दोषी करार देकर उसे सामूहिक तौर पर सजा देते हैं. कई मामलों में तो महिला की हत्या तक कर दी जाती है. बात करें तो बीते 8 सालों में 250 से 300 के करीब मामले सामने आए. इसमें 8 लोगों की हत्या कर दी गई. 2022-23 में हत्या तो नहीं हुई, लेकिन 116 से अधिक मामले सामने आए.
ओझा-गुनी की भरमार
उल्लेखनीय बात यह है कि केवल ग्रामीण इलाकों से ही ऐसे मामले सामने आते हैं. गांव में जगह-जगह पर ऐसी कथित डायनों को पहचानने वाले ओझा भी भारी तादाद में हैं. वही लोग इन कथित डायनों की पहचान कर गांव के लोगों को बताते हैं. उसके बाद गांव वाले डायनों की करतूत के हिसाब से उनकी सजा तय कर देते हैं. नुकसान ज्यादा हुआ तो यह सजा मौत में बदल जाती है. जब इस संबंध में पलामू डीसी से फोन पर जानने की कोशिश की तो उन्होंने भूत मेला की सूचना नहीं होने की बात करते हुए उन्होंने कुछ बताने से इंकार कर दिया.
क्या कहते हैं डॉक्टर

एमएमसीएच के अधीक्षक डॉक्टर डीके सिंह ने कहा भूत-प्रेत कुछ नहीं होता है. अगर किसी को भी भूत-प्रेत होने का दावा करता है तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. जिन्हें भूत प्रेत का साया होने का डर सताता है वह मानसिक रूप से बीमार होते हैं. उन्हें इलाज की आवश्यकता है.
क्या कहता है कानून
पलामू के वकील रुचि तिवारी ने कहा डायन भूत प्रतिषेध अधिनियम 2001 झारखंड में लागू किया गया है. कुछ लोग पैसा कमाने के लिए किसी महिला पर या ऐसे महिला पर जो विधवा हो चुकी है जो बूढ़ी हो चुकी है उनको डायन कहने लगते हैं. उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. पलामू जिले के हैदरनगर में भूत मेला लगता है जिसपर प्रतिबंध लगना चाहिए. डायन बिसाही, भूत-प्रेत के चक्कर में गरीब तबके के लोग तबाह हो जाते हैं. यहां तक कि डायन के शक में लोगों की हत्या भी कर दी जाती है. इस संबंध में जागरूकता लाने की जरूरत है. प्रशासन इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाता भी है. लेकिन इसके खात्मा के लिए प्रशासन, पुलिस के साथ-साथ आमंलोगों की भी भागीदारी सुनिश्चित करना होगा.