Ranchi. आमया संगठन ने अल्पसंख्यकों के अधिकार को लेकर कडरू के हज हाउस के सामने गुरुवार को न्याय प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के माध्यम से संगठन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चंपई सोरेन से झारखंड के मुसलमानों से जुड़े 15 मांगें रखीं. इन मांगों में मॉब लिंचिग में मार गये लोगों के परिवार को न्याय और पुनर्वास के साथ लिंचिग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कानून बनाने, सोशल मीडिया में धार्मिक टिप्पणी कर समुदाय को आहत करने वालों के खिलाफ कानून बनाने, आबादी के अनुसार सरकारी और निजी नौकरियों में मुसलमानों की भागीदारी, पशुओं की खरीद-बिक्री एवं मांस के कारोबार में महाराष्ट्र तथा यूपी की तर्ज पर कानून बनाने, उर्दू शिक्षकों की बहाली में पिछड़ी और सामान्य जाति की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने, 2018 के हाईकोर्ट के आदेशानुसार +2 विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति आदि शामिल हैं.
इसे भी पढ़ें –बंगाल फतह को BJP तैयार, शाह की सेना में अर्जुन मुंडा भी शामिल
मांगों को नजरअंदाज किया, तो सड़क पर उतरेंगे
प्रदर्शन के दौरान संस्था के अध्यक्ष एस अली ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के साथ लगातार हो रहे उत्पीड़न, उनके धार्मिक स्थानों पर हमले, मॉबलिंचिंग के नाम पर 100 से भी अधिक लोगों की हत्या और धार्मिक भेद-भाव जैसे मुद्दों के खिलाफ संगठन प्रदर्शन कर रहा है. 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर अपने हक के लिए हम सरकार के सामने 15 मांगें रख रहे हैं. यदि हमारी मांगें पूरी नहीं होती है तो हम सड़क पर उतरेंगे.
प्रदर्शन कार्यक्रम में आमया संगठन के लतीफ आलम, मो. नौशाद, मो फुरकान, जियाउद्दीन अंसारी, एकराम हुसैन, अरशद जिया, अबरार अहमद, अंजर आलाम, मोईज अहमद, तहमीद अंसारी, मंजूरी आलम, इमरान अंसारी, अब्दुल रहीम, मो आसीफ, अफजल खान, जावेद अख्तर आदि शामिल थे.
इसे भी पढ़ें –धनबाद : रेलवे क्वार्टर में अवैध कब्जाधारियों पर चला बुलडोजर, लोगों ने किया विरोध