Ranchi : अब्दुल सत्तार चौधरी एक ऐसा नाम, जो पिछले 41 साल से राष्ट्रीय ध्वज बना रहे हैं. गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस, रांची और इसके आसपास के शिक्षण संस्थानों के लोग इनकी दुकान से ही राष्ट्रीय ध्वज लेकर जाते हैं. अपने जीवन के 81 बसंत अब्दुल सत्तार पार कर चुके हैं. ये कहते हैं कि सेना में शहीदों के सम्मान के लिए 6.5 फीट लंबा और 5 फिट चौड़ा झंडा यहां से ही बन कर जाता है.
अब्दुल सत्तार कहते हैं कि जब देश के जवान किसी आतंकी हमले के शिकार हो जाते हैं, उस वक्त मन कचोट जाता है. इनकी दुकान अपर बाजार स्थित जामिया मस्जिद के पास है. जहां सिलाई मशीन के सहारे देश का गौरव तिरंगा बनाया जाता है.
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एक महीने से होती थी तैयारी,इस बार बाजार मंदा
राष्ट्रीय पर्व के माहौल में अब्दुल सत्तार चौधरी की दुकान तिरंगे के रंग से गुलजार रहती है. वह बताते हैं कि राष्ट्रीय ध्वज बनाना गणतंत्र दिवस से एक माह पहले ही शुरू हो जाता है. तिरंगे का तीन रंग केसरिया, सफेद और हरे रंग के कपड़ों को सिलकर झंडा का रूप देते हैं. जिस पर देश का हर-एक नागरिक गर्व महसूस करता है.
लेकिन इस साल कोरोना महामारी के कारण अधिकांश स्कूल बंद हैं. जिससे बाजार मंदा है. दुकान पर बहुत कम लोग खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि 41 सालों से तिरंगा झंडा बना रहे हैं. लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि बाजार में ग्राहक न के बराबर पहुंच रहे हैं.
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सभी धर्मों के लोग झंडे की खरीददारी के लिए आते हैं
अब्दुल सत्तार बताते हैं कि उन्हें हिंदुस्तानी होने का गर्व है. मेरी दुकान तिरंगे से साल भर पटी रहती है. उन्होंने कहा कि तिरंगा झंडा खरीदने के लिए दुकान पर सभी धर्म के लोग पहुंचते हैं.
पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र देश है, जहां सभी धर्म और संप्रदाय के लोग सौहार्द के साथ रहते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि देश के कुछ नेता वोट बैंक की राजनीति के कारण सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं. लेकिन भारत की जनता ऐसे लोगों के मंसूबों को भलीभांति समझती हैं और देश विरोधी ताकतों को नाकाम करती हैं. आपसी सौहार्द ही इस देश की सबसे बड़ी पहचान है.
आसमान में लहराता तिरंगा देख गर्व महसूस होता है
अब्दुल सत्तार चौधरी की दुकान पर तिरंगा बैच खरीदने कई लोग आते हैं. उन्हीं में से स्थानीय युवक अभिनव मित्तल ने कहा कि देश का राष्ट्रीय ध्वज लहराता देख कर गर्व महसूस होता है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर बैच की खरीदारी के लिए आया हूं. और इसे अपने सीने पर लगाकर इस दिन का जश्न मनाऊंगा.
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