- विधानसभा में भी उठते रहे हैं दखल दिहानी के मामले
- फिर भी 36,492 एकड़ जमीन का नहीं कराया गया दखल दिहानी
जैसे मजबूत कानून होने के बावजूद गैर-आदिवासियों के बीच भूमि के अवैध हस्तांतरण का सिलसिला अब भी जारी है. विभिन्न जिलों में आदिवासियों की 36492 एकड़ जमीन गैर आदिवासियों ने हथिया ली है. वहीं 4745 आदिवासियों ने अपनी जमीन वापसी के लिए विभिन्न न्यायालयों में मुकदमे भी दायर किये हैं. ये मुकदमे वैसे हैं जिसमें आदिवासी रैयत के पक्ष में दखल दिहानी के आदेश भी परित होने के बाद भी आदिवासी रैयतों को अपनी खतियानी भूमि वापस नहीं कराया जा सका है. रांची जिले में ही लंबित करीब 3541 दखल दिहानी के मामले हैं, जहां सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर आदिवासी जमीन ली गई है.
पिछले दिनों विधायक चमरा लिंडा ने सदन में उठाया था मामला
http://आदिवासीजमीन">आदिवासी जमीन के अवैध हस्तांतरण के मामले को लेकर झारखंड विधानसभा में सवाल भी उठाया गया. 19 मार्च को विधायक चमरा लिंडा ने सदन में सवाल उठाया था. जिसमें चमरा लिंडा ने सरकार से पूछा कि 8 फरवरी 1999 के बाद से अब तक आदिवासी भूमि विनिमय मामलों से संबंधित जमीन की अनुसूचित जनजाति सदस्यों को वापस कराने का सरकार क्या विचार रखती है. इसे भी पढ़ें- भैंस">https://lagatar.in/people-who-are-consuming-buffalo-milk-have-an-injection-of-antirebies/40310/">भैंस
का दूध पीनेवाले लोग ले रहे एंटी रेबीज का इंजेक्शन इसके जवाब में सरकार की ओर से कहा गया था छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के हितों के संरक्षण हेतु समुचित प्रावधान है. सीएनटी एक्ट 1908 की धारा 46 की उप धारा 1 के उल्लंघन के विरुद्ध धारा 71 ए के तहत भूमि वापसी की कार्रवाई एसएआर कोर्ट में किया जाता है. http://एसएआर
कोर्ट">एसएआर कोर्ट द्वारा पारित आदेश का अनुपालन अंचल अधिकारी द्वारा भौतिक दखल दिखानी कराई जाती है. इस संबंध में सरकार ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त को दखल दिहानी कराने के आदेश 27 दिसंबर 2018 को ही दे दिया गया था.
जानें किस जिले में आदिवासी जमीन के कितने मामले लंबित और कितने पर अवैध कब्जा
जिला लंबित मुकदमे कब्जा रामगढ़ 59 64.64 एकड़ पाकुड़ 110 86.38 एकड़ प. सिंहभूम 37 11.32 एकड़ पू. सिंहभूम 22 15.43 एकड़ सरायकेला-खरसावां 56 70.46 एकड़ रांची 3541 1894.63 एकड़ पलामू 04 29.04 एकड़ हजारीबाग 7 मामले निष्पादित 27.69 एकड़ धनबाद 18 23.65 एकड़ गुमला 109 90.76 एकड़ गिरिडीह 02 16.83 एकड़ लोहरदगा 50 171.81 एकड़ गढ़वा 05 6.11 एकड़ खूंटी 08 7.56 एकड़ सिमडेगा 04 0.29 एकड़ बोकारो 19 45.17 एकड़ गोड्डा 22 17.73 एकड़ साहेबगंज 01 0.6 एकड़दखल दिहानी की क्या स्थिति है रांची जिला में जानते हैं इन मामलों से
केस- 1 पूर्व विधायक एनोस एक्का की पत्नी मेनन एक्का का भी नाम सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर जमीन खरीदनेवालों में शुमार है. राजधानी के ओरमांझी और कांके प्रखंड में मेनन एक्का द्वारा सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर जमीन खरीदी गयी है. इस मामले में भी राजस्वकर्मियों की मिलीभगत रही है. इसमें रांची के तत्कालीन भूमि सुधार उपसमाहर्ता (एलआरडीसी) कार्तिक कुमार प्रभात की भूमिका भी अहम रही है. मामला निगरानी आयुक्त के पास भी पहुंचा था, जिसमें कार्तिक कुमार प्रभात को दोषी पाया गया था. इसे भी पढ़ें- JPSC">https://lagatar.in/jpsc-vacancies-for-the-posts-of-veterinarians-candidates-will-be-able-to-apply-from-march-24/40302/">JPSCने पशु चिकित्सक के पदों पर निकाली वैकेंसी, 24 मार्च से आवेदन प्रक्रिया शुरू इस मामले में मूल रैयतों को http://दखल
दिहानी">दखल दिहानी का आदेश परित हो चुका है, लेकिन अभी भी मूल रैयत को भूमि वापसी नहीं हो सकी है. इस भूमि ईडी ने अटैच कर रखा है. इसके बाद दखल दिहानी को तामीर करने के लिये खतियानी रैयत हाई कोर्ट के शरण में गये हैं.
मेनन एक्का ने कब खरीदी थी जमीन
जब एनोस एक्का ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री थे, तब मेनन एक्का ने 2006-07 में रांची के ओरमांझी प्रखंड स्थित कोलियरी मौजा में रिंग रोड के पास लगभग 60 एकड़ जमीन खरीदी थी. इसमें भुइहरी जमीन भी शामिल है. यह वही जमीन है, जिसे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अटैच कर लिया गया है. इससे पहले इसी जमीन के एक हिस्से को लेकर उपायुक्त न्यायालय रांची में वाद संख्या 18/12 -13 कलुआ मुंडा बनाम मेनन एक्का का केस भी चला था. जिसमें न्यायालय उपायुक्त रांची द्वारा 12 अप्रैल 2016 को मौजा कोलियरी खाता नंबर 34 व 39 का कुल रकबा 8.62 एकड़ दखल कब्जा का आदेश पारित किया गया. कलुआ मुंडा की जिस जमीन की खरीद मेनन एक्का द्वारा की गयी. उसका डीड संख्या 17223 जिल्द संख्या 645, रकबा 2.32 एकड़, डीड संख्या 13535 जिल्द संख्या 524 रकबा 3.78 एकड़, डीड संख्या 15675 जिल्द संख्या 605 रकबा 2.52 एकड़ है. इस भूमि पर आवेदक को दखल कब्जा दिलाने का आदेश पारित किया गया था. इसके बाद भी कलुआ मुंडा को दखल कब्जा तक नहीं मिल सका है. इसे भी पढ़ें- अशोका">https://lagatar.in/ashoka-university-said-on-the-resignation-of-pratap-bhanu-mehta-arvind-subrahmanyam-his-departure-created-a-void/40316/">अशोकायूनिवर्सिटी ने प्रताप भानु मेहता, अरविंद सुब्रह्मण्यम के इस्तीफे पर कहा, उनके जाने से शून्य पैदा हुआ [caption id="attachment_40344" align="aligncenter" width="600"]
alt="Lagatar.in" width="600" height="400" /> खतियानी रैयत की तस्वीर महादेव उरांव की तस्वीर[/caption] केस- 2 हेहल अंचल के महादेव उरांव अपनी भूमि वापसी के लिये 30 साल से कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रहे हैं. हेहल अंचल के मौजा मधुकम के खाता नंबर 189 प्लॉट नंबर 319 कुल रकबा 0.48 एकड़ है. इस मामले में भी दखल दिहानी का आदेश पारित कर दिया गया है. इसपर भू-स्वामी महादेव उरांव कहते हैं कि अपनी भूमि वापसी के लिये 30 साल से कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रहे हैं. 8 साल पहले दखल दिहानी का आदेश परित हुआ था. इसके बाद 2018 में भी दखल दिहानी करने के लिये अंचल कार्यालय ने प्रयास किया था. इसके बाद फिर से मामले को दूसरे पक्ष ने रिव्यू चला गया. आज तक हमारी अपनी जमीन वापसी सरकार ने नहीं कराया. इसे भी पढ़ें- ड्राई">https://lagatar.in/10-lakh-people-still-addicted-to-dry-state-bihar-facts-come-in-national-survey/40312/">ड्राई
स्टेट बिहार में अब भी 10 लाख लोगों को नशे की लत, राष्ट्रीय सर्वेक्षण में आये फैक्ट्स केस- 3 राजू तिर्की और प्रदीप तिर्की की भूमि वापसी का मामला भी दखल देहानी के आदेश के बाद 20 सालों से लंटका हुआ है. तत्कालीक विशेष विनमय पदाधिकारी रांची ने 16 जून 2008 को दखल दिखाने का आदेश दिया था. यह भूमि अंचल अरगोड़ा के अरगोड़ा मौजा का है. जिसका खाता नंबर 152 रकवा 37 डिसमिल एवं प्लॉट नंबर 213 रकबा 39 डिसमिल कुल 76 डिसमिल है. विपक्षी के रूप में सेक्रेटरी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी अशोक विहार को बनाया गया था.
alt="" width="600" height="400" /> [caption id="attachment_40342" align="aligncenter" width="600"]
alt="" width="600" height="400" /> इस मामले में एसआर कोर्ट ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम धारा 71 ए के तहत खतियानी रैयत के पक्ष में दखल दिहानी का आदेश दिया था. इसके बावजूद अब तक जमीन की वापसी नहीं हो सकी है. वर्तमान समय मामला कमिश्नर न्यायालय में लंबित है. खतियानी रैयत के वंशज कहते हैं 20 साल से अधिक समय हो गया कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रहे हैं. लेकिन सरकारी आदेश के बाद भी दखल-दिखाने नहीं कराया गया. हर बार पूरे मामले को कानूनी दांव पेंच में उलझाने का काम किया जाता रहा है.[/caption] इसे भी देखें-
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