शिकायतें ठंडे बस्ते में
अबुआ आवास योजना में रिश्वत लेकर आवंटन की शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं. लेकिन कार्रवाई सिर्फ उन्हीं पर होती है, जो साहब के करीबी नहीं होते. नौ कर्मचारियों को यह कहकर निकाल दिया गया कि आप पर रिश्वत लेकर आवास आवंटित करने का आरोप है. साथ ही उनकी परफॉर्मेस अच्छी नहीं है. लेकिन योजना के समन्वयक पर आरोप लगने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी.इस संबंध में डीडीसी से बात करने पर उन्होंने कहा कि अमित पर और भी बहुत सारे गंभीर आरोप लगे हैं. लेकिन इसके दस्तावेज मेरे पास नहीं है. उन आरोपों के सामने पत्नी के नाम से अबुआ आवास आवंटित करने का आरोप छोटा है. इसलिए उनपर कार्रवाई नहीं की गयी है.
मातृत्व अवकाश पर गयी महिला कर्मी को नौकरी से निकाला
खराब परफॉर्मेस और रिश्वत लेकर अबुआ आवास आवंटित करने के आरोप में एक आदिवासी महिला कर्मी को भी निकाला गया है. चौंकाने वाली बात यह भी है कि उस दौरान उक्त महिला कर्मी मातृत्व अवकाश पर थी. छुट्टी के दौरान ही उसकी परफॉर्मेंस रिपोर्ट बनायी गयी और उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर महिला कर्मी मातृत्व अवकाश पर थी तो उसकी परफॉर्मेंस रिपोर्ट कैसे बनायी गयी.फर्जी दस्तावेजों से पास हुआ आवेदन, कौन है असली गुनहगार?
अबुआ आवास योजना में आवेदन के लिए आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स और स्थानीयता प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है. इसके बाद चार लोगों की टीम मौके पर जाकर पुष्टि करती है कि आवेदक वास्तव में उसी जगह का निवासी है या नहीं. साथ ही वह आवास का हकदार है या नहीं. ऐसे में सवाल उठता है कि तीन चरणों में वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी चार सदस्यीय टीम को कैसे पता नहीं चल पाया और किसके कहने पर अमित कुमार की पत्नी का आवेदन पास किया गया.उठ रहे सवाल
- 1. किसने बैंक अकाउंट और आधार कार्ड को वेरिफाई किया?
- 2. किसने जमीनी स्तर पर जाकर उनके पते की पुष्टि की?
- 3. आवेदन पास करने वाली टीम कौन थी?
बुंडू से लेकर नामकुम तक भ्रष्टाचार !
यह पहली बार नहीं है जब अमित कुमार पर आरोप लगे हैं. बुंडू में भी उनके खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई गयी थी कि वे आवास आवंटन के बदले पैसे मांग रहे थे. नामकुम में भी उन पर इसी तरह के आरोप लग चुके हैं. फिर भी, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. सवाल यह है कि आखिर कौन उन्हें बचा रहा है? क्या उन्हें ऊपर से संरक्षण प्राप्त है.भ्रष्टाचार उजागर करने को अहम दस्तावेज सामने आये हैं :
- नगरी क्षेत्र की शिकायत की कॉपी
- बुंडू क्षेत्र की लिखित शिकायत
- आवास आवंटन की लिस्ट जिसमें अमित कुमार की पत्नी का नाम दर्ज है
- डीसी ऑफिस में की गई शिकायत का रजिस्ट्रेशन नंबर
- आवास आवंटन की प्रक्रिया का पूरा विवरण
- मातृत्व अवकाश पर निकाली गई महिला की छुट्टी का आवेदन और डॉक्टर की रिपोर्ट
सवाल जो प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हैं
- 1. जब अमित कुमार की पत्नी का आवेदन बिना जानकारी के पास हो गया, तो इस धांधली का असली जिम्मेदार कौन है?
- 2. आवास योजना में रिश्वतखोरी की जांच क्यों नहीं की जा रही?
- 3. जिन 9 लोगों को निकाला गया, क्या उनके खिलाफ कोई आधिकारिक जांच हुई?
- 4. क्या आदिवासी महिला को उसके मातृत्व अवकाश के दौरान निकालना सही था?
- 5. बार-बार शिकायत के बावजूद अमित कुमार पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
यही हाल रहा तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेगी योजना
अगर यही हाल रहा, तो गरीबों के लिए बनी अबुआ आवास योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेगी. जरूरतमंद लोग सिर्फ सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रह जाएंगे और साहब के करीबी मजे से आवास आवंटित कराते रहेंगे. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन पर कार्रवाई करता है या फिर इसे पहले की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. [caption id="attachment_1030627" align="aligncenter" width="600"]alt="" width="600" height="400" /> शिकायत की कॉपी[/caption] [caption id="" align="aligncenter" width="600"]
alt="" width="600" height="400" /> आदिवासी महिला की मेडिकल रिपोर्ट[/caption]
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