Ranchi : जेरेडा के तत्कालीन निदेशक निरंजन कुमार सहित चार लोगों पर एसीबी मामला दर्ज करेगी. इसे लेकर शुक्रवार को सीएम हेमंत सोरेन ने स्वीकृति दे दी है. सीएम ने जेरेडा के तत्कालीन निदेशक निरंजन कुमार, तत्कालीन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और जेरेडा में प्रतिनियुक्त रहे विद्युत कार्यपालक अभियंता राम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करने के साथ ही जांच पर स्वीकृति दी है. गौरतलब है कि एसीबी ने इन पदाधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों की प्रारंभिक जांच कर प्रतिवेदन सौंप चुकी है.
पद के दुरुपयोग व भ्रष्टाचार का है आरोप
सीएम हेमंत सोरेन ने निरंजन कुमार, तत्कालीन निदेशक, झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड (अतिरिक्त प्रभार- प्रबंधन निदेशक, झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड), अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद, तत्कालीन परियोजना निदेशक, जेरेडा और राम सिंह, विद्युत कार्यपालक अभियंता, टीवीएनएल (प्रतिनियुक्ति-जेरेडा) के खिलाफ पद के दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने के आरोप के मामले में कांड दर्ज करने और दिये गये दो सुझावों के साथ जांच के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. इन सुझावों के तहत अनुसंधानकर्ता द्वारा अनुसंधान के क्रम में सभी आरोपी पदाधिकारियों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जायेगा. एसीबी द्वारा ऊर्जा विभाग के द्वारा इस मामले को लेकर गठित समिति के प्रतिवेदन में दिये गये तथ्यों को विचारित करे.
एसीबी ने की है प्रारंभिक जांच
इन पदाधिकारियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने से संबंधी परिवाद पत्र दायर किया गया था. इसके आलोक में मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग द्वारा एसीबी को प्रारंभिक जांच के लिए प्राधिकृत किया गया था.
एसीबी ने परिवाद पत्र में दर्ज सभी आरोपों की प्रारंभिक जांच कर तथ्यों के साथ अबतक उपलब्ध साक्ष्य और दस्तावेजों के आधार पर इन पदाधिकारियों के खिलाफ विस्तृत अनुसंधान के लिए कांड अंकित करने की अनुशंसा की थी.
प्रशासी विभाग ने समिति का किया गठन
एसीबी द्वारा प्रतिवेदन समर्पित किये जाने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग ने उसकी समीक्षा करने के बाद संबंधित प्रशासी विभाग (ऊर्जा) की सहमति/ मंतव्य प्राप्त कर कांड दर्ज करने के लिए अनुमति की मांग की गयी. इसके लिए ऊर्जा विभाग को जांच प्रतिवेदन भेजा गया. इसके आलोक में ऊर्जा विभाग द्वारा तीनों आरोपी पदाधिकारियों से पक्ष मांगा गया. उनके द्वारा पक्ष रखे जाने के बाद विभाग की ओर से उसकी समीक्षा को लेकर समिति का गठन किया गया. इस समिति ने मामले की समीक्षा करने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग को प्रतिवेदन समर्पित कर दिया. ऐसे में विभागीय मंतव्य को एसीबी द्वारा विचारित करने और कांड दर्ज करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति दे दी है.