Godda : गोड्डा में अडाणी पावर प्लांट तैयार हो गया. इससे उत्पादित होने वाले पहले चरण की 800 मेगावाट बिजली बांग्लादेश को भेजी जाएगी. 800 मेगावाट के दो प्लांट के साथ इस प्लांट में करीब 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं. गोड्डा शहर से करीब 12 किमी दूर मोतिया गांव में अडाणी ने 1600 मेगावाट का प्लांट बैठाया है. अडाणी कंपनी हेड ऑफिस से जारी रिलीज में कंपनी ने दावा किया है कि राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित लगभग 650 एकड़ भूमि पर बनाई जा रही इस कोयला आधारित अत्याधुनिक सुविधा के लैश पावर प्लांट से इस क्षेत्र की पूरी रूपरेखा बदल रही है. अडाणी पावर ग्रुप एजेंसी ने जानकारी दी है कि इस प्लांट से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति की जाएगी. साथ ही यह दोनों देशों के बीच में पावर कनेक्शन के रूप में काम करेगा और एक महत्वपूर्ण आर्थिक संबंध बनाएगा. ग्रीनहाउस गैस एमिशन्स और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले अन्य सूक्ष्म कणों को कम करने के लिए, इसे अल्ट्रा- सुपरक्रिटिकल टेक्नोलॉजी के साथ बनाया जा रहा है, जो भारत के बढ़ते रीजनल फूटप्रिंट्स को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. भारत 2010 से ढाका के साथ अपने ऊर्जा सहयोग को बढ़ा रहा है. पिछले कुछ वर्षों में पावर ट्रांसफर क्षमता में वृद्धि के साथ, सीमा पार संबंध धीरे-धीरे मजबूत हुआ है. 2021 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के 50 साल पूरे होने के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी की ढाका यात्रा के साथ इस संबंध को अधिक बढ़ावा मिला है, इसके बाद 2022 में उनकी समकक्ष शेख हसीना, नई दिल्ली की यात्रा पर पहुंची थी.

बांग्लादेश ने एग्रीमेंट में संशोधन की मांग की
कंपनी की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि इस प्लांट को दुनिया की दो सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के बीच एनर्जी एक्सचेंज , ग्लोबल एनर्जी डिमांड को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है. जबकि दोनों देशों के बीच इस बिजली समझौते को लेकर बांग्लादेश में कुछ वर्गों से आलोचना शुरू हो गई है. बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीबी) ने नवंबर 2017 में ढाका में अडाणी पावर के साथ, झारखंड के गोड्डा में कोयला आधारित पावर प्लांट से 1,496 मेगावाट (एमडब्ल्यू) बिजली की आपूर्ति के लिए, 25 साल के पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए है. रिपोर्ट के अनुसार, बीपीडीबी ने ग्लोबल मार्केट की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, कोयले की अत्यधिक कीमतों का हवाला देते हुए एग्रीमेंट में संशोधन की मांग की है. बांग्लादेश की चिंता है कि यह खराब बिजली प्रबंधन के साथ उसके संघर्षों में गहरी जड़ें जमाए हुए है. वैश्विक और घरेलू कारकों के कारण, उत्पन्न ऊर्जा संकट देश में गहरा गया है, जो आयातित प्राकृतिक गैस जैसे फॉसिल फ्यूल से तीन-चौथाई बिजली प्राप्त करता है. यूक्रेन में जारी युद्ध ने, आपूर्ति में संकट पैदा किया है. दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गारमेंट एक्सपोर्टर, जो इसके निर्यात का 84 प्रतिशत हिस्सा है, बिजली की कमी और घाटे के कारण कारखानों को बंद करने के लिए मजबूर है. यहां तक कि जब इसकी प्रति व्यक्ति बिजली खपत भारत में 3,200 और 1,200 यूनिट्स के वैश्विक औसत की तुलना में केवल लगभग 600 यूनिट है. अपने ऊर्जा संकट को कम करने के लिए बांग्लादेश सरकार ने अडाणी पावर लिमिटेड के लिए मार्ग प्रशस्त करते हुए, ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश की अनुमति देना शुरू कर दिया था. 800 मेगावाट की पहली यूनिट से ट्रांसमिशन की शुरुआत 16 दिसंबर 2022 को हुई थी. गोड्डा प्लांट पूरी तरह कार्यात्मक हो जाएगा और मार्च 2023 से बिजली प्रदान करना शुरू करेगा और आयातित कोयले व एलएनजी का उपयोग करने वाले रामपाल, मातरबारी और एस आलम प्रोजेक्ट्स की तुलना में शुल्क सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे. 9.39 यूएससी / किलोवाट पर ऊर्जा लागत और 424 यूएससी / किलोवाट पर क्षमता शुल्क के साथ, बांग्लादेश में अन्य समकक्ष पावर स्टेशंस की तुलना में, बिजली शुल्क या तो लाइन में है या कम है और क्षमता व ईंधन शुल्क दोनों के मामले में प्रभावी है.
25 प्रतिशत बिजली झारखंड को मिलनी है
जारी सूचना के अनुसार इस प्लांट से झारखंड को 25 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति की जाएगी, जो उसकी बिजली की आवश्यकता को पूरा करेगा. साहिबगंज से गोड्डा तक 95 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन, इस स्ट्रेच के साथ लगे 300 से अधिक गांवों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है. अडाणी समूह की सीएसआर शाखा, अडाणी फाउंडेशन द्वारा किए गए विकास कार्यों ने, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से बदल दिया है. इस पावर प्लांट से उत्पन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार से 5,000 से अधिक लोगों को लाभ हुआ है.
कंपनी ने कई फायदा का किया दावा
कंपनी ने दावा किया है कि ज्ञानोदय प्रोजेक्ट के तहत, स्मार्ट क्लास, डिजिटल लर्निंग प्रोग्राम वाले 324 सरकारी स्कूलों को कवर किया गया है, जिससे गोड्डा के 60,000 से अधिक बच्चे लाभान्वित हुए हैं. अडाणी कौशल विकास केंद्र (एएसडीसी) में ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद 3,000 से अधिक युवाओं को रोजगार मिला है या उन्होंने अपना उद्यम शुरू किया है. संगिनियों (महिला स्वयंसेवकों) के अथक परिश्रम से, फाउंडेशन की विल्मर सुपोषण परियोजना के तहत, 20 से अधिक गांवों के बच्चों को कुपोषण से लड़ने में मदद मिल रही है. गोड्डा की युवा लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें ट्रेनिंग प्रदान करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए, सिलाई केंद्र खोले गए हैं. महिला आईटीआई के संचालन हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर कर बालिकाओं को इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग देने का भी लक्ष्य रखा गया है. महामारी के दौरान, समूह ने गोड्डा और आसपास के जिलों के सरकारी अस्पतालों को 600 से अधिक जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर प्रदान किए थे. दुमका मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट और गोड्डा, दुमका और साहिबगंज के अस्पतालों में ऑक्सीजन पाइप का नेटवर्क स्थापित किया गया है. यह प्रोजेक्ट, पर्यावरण से जुड़े सभी मानदंडों और अनुपालनों को पूरा करता है. प्रस्तावित परियोजना के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य या इकोलॉजिकल दृष्टि से कोई संवेदनशील क्षेत्र नहीं है.

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