Adityapur (Sanjeev Mehta) : होल्डिंग टैक्स को लेकर उद्यमियों में अब भी ऊहापोह की स्थिति है. उन्हें नगर निगम नए जलापूर्ति योजना का कनेक्शन से वंचित कर रखा है. उद्यमियों पर होल्डिंग टैक्स का बोझ थोपना गलत है. वैसे भी औद्योगिक क्षेत्र निगम क्षेत्र से बाहर है. यह कहना है आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एसिया) के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल का. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को हुए निगम कार्यालय में प्रशासक के साथ बैठक में कोई हल नहीं निकल पाया है, जिसके बाद एसिया ने जिले के उपायुक्त से हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने कहा है कि वे शीघ्र निगम के प्रशासक और उद्यमियों के साथ बैठक करेंगे और इस समस्या का हल निकालने का प्रयास करेंगे. एसिया अध्यक्ष इन्दर अग्रवाल ने बताया कि वर्ष-1970 के दशक में आयडा (वर्तमान जियाडा) अस्तित्व में आया. तब से लेकर वर्ष-2003 तक नगर निकाय की ओर से होल्डिंग टैक्स की कोई डिमांड नहीं की गई थी.
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अलग झारखंड राज्य बनने के बाद हुए पहले निकाय चुनाव के बाद से निकाय की ओर से होल्डिंग टैक्स की मांग की जाने लगी. उन्होंने तत्कालीन जिला उपायुक्त रमेश घोलप के पदस्थापन के दौरान एसिया की ओर से उन्हें होल्डिंग टैक्स की समस्या से अवगत कराया था. उसके बाद उन्होंने आदित्यपुर नगर परिषद (अब नगर निगम) से स्पष्टीकरण भी मांगा था, जिसमें स्पष्ट रुप से कहा गया था कि निकाय को स्थापित अथवा घोषित औद्योगिक क्षेत्र (लीज बेसिस) से होल्डिंग टैक्स लेने का कोई प्रावधान नहीं है. उसके बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. इसी दौरान नगर निकाय के द्वारा होल्डिंग टैक्स के लिए कुछ इकाइयों के ऊपर चार्ज लगाया गया था, जिसमें कुछ इकाइयों ने झमेला-झंझट से बचने के लिए चार्ज जमा भी कर दिया था, परन्तु जिन इकाइयों के ऊपर ज्यादा बिलिंग हुई. वे उसके विरुद्ध झारखंड हाईकोर्ट चले गये, परन्तु हाईकोर्ट ने इसे दो विभागों के बीच का मामला बताते हुए इस पर दखल देने से इंकार कर दिया.
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उसके बाद नगर निगम द्वारा नगर विकास विभाग से मंतव्य मांगा गया था, परन्तु वहां से कोई जबाब नहीं आया. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयां जियाडा के क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आती है, जिन्हें क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास की सुविधा प्रदान करके औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने के लिए लीज होल्ड पर जमीन दी गई है. और उनके द्वारा जियाडा को भूमि किराया, लेवी, स्ट्रीट लाईट आदि का भुगतान भी किया जाता है. पूर्व में भी एसिया द्वारा आपत्ति जताने के बाद जियाडा के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक अमित कुमार तथा क्षेत्रीय उप निदेशक द्वारा निकाय के साथ पत्राचार किया गया था, जिसमें प्राधिकार के क्षेत्र में आने वाली औद्योगिक इकाइयों के ऊपर होल्डिंग टैक्स नहीं लगाने की बात कही गई थी.
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