Adityapur (Sanjeev Mehta) : आदित्यपुर के रिहायशी इलाकों को जलापूर्ति का लाभ देने वाला एकमात्र सीतारामपुर डैम का जलस्तर तेजी से घट रहा है. वर्तमान जलस्तर14 फीट जा पहुंचा है. जनवरी में डैम का जलस्तर 18 फीट था जो 4 महीने में 4 फीट घटकर 14 फीट पर आ पहुंचा है. पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता जेसन होरो ने कहा कि अभी तीन महीने जलापूर्ति का स्टॉक बचा हुआ है. अगर समय पर मानसून आ गया और अच्छी बारिश हो जाती है तो चिंता की कोई बात नहीं है, किंतु बारिश कम हुई तो जलापूर्ति में कटौती संभव है. बता दें कि सीतारामपुर डैम का कुल क्षमता 21 फीट का है. डैम में सात फीट गाद भरा हुआ है. जिसे निकालने के लिए सामाजिक संगठन झारखंड लीगल एंड एडवायजरी डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के द्वारा हाई कोर्ट में पीआईएल दर्ज कराया गया था. जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर 14.76 करोड़ रुपये की बनी योजना सीतारामपुर डैम का गाद हटाने की बनी, लेकिन वर्तमान में प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है.
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डैम की गहराई सात मीटर गाद से भर गया है
बता दें कि आदित्यपुर के करीब 13 हजार परिवारों और करीब 1000 उद्योगों को जलापूर्ति सीतारामपुर डैम से ही जालापूर्ति होता है. पिछले दिनों डैम के घटते जलस्तर को देखते हुए नगर निगम के अपर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद ने डैम और फ़िल्टर प्लांट का निरीक्षण कर डैम के गाद की सफाई का प्रस्ताव पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता से मांगा था. बता दें कि डैम के निर्माण के बाद से ही इसकी कभी सफाई नहीं हुई है. 19.2 वर्ग किलोलीटर का यह डैम घटकर 1000 वर्ग किलोलीटर पर आ गया है. डैम की गहराई करीब सात मीटर गाद से भर गया है. ऐसे में डैम से होनेवाली जलापूर्ति की क्षमता भी पांच मिलियन गैलन से घटकर 3.5 मिलियन गैलन पर आ गया है. इससे पाइप लाइन जलापूर्ति में फ़ोर्स नहीं रहता है. लोगों को भरपूर पानी नहीं मिलता है.
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डैम का रखरखाव शून्य
पूर्व में मीटर आधारित बिल लिया जाता था जिसे विभाग को फिक्स करना पड़ा है. इन्हीं कारणों से वर्ष 2017 में झारखंड लीगल एडवाइजरी डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने जनहित याचिका दायर की थी. तब हाई कोर्ट ने सही समय पर डैम का गाद हटाने का आदेश विभाग को दिया था. विभाग के ईई ने 14 करोड़ 76 लाख 7 हजार 900 रुपये की स्कीम बनाकर प्रस्ताव बनाकर भेजा भी लेकिन वह ठंडे बस्ते में चला गया है. बता दें कि सीतारामपुर डैम का निर्माण 1963 में हुआ था. तब डैम से आसपास सिंचाई और जलापूर्ति करने का उद्देश्य बना था. लेकिन डैम आज जर्जर स्थिति में है. डैम का रखरखाव शून्य है. वर्ष 2018 में डैम का क्षतिग्रस्त स्पिलवे गेट भी जनहित याचिका दायर करने के बाद बनी, जिसका परिणाम है कि आज डैम में पानी का स्टोरेज बढ़ा है अन्यथा हर वर्ष जुलाई अगस्त तक डैम पानी देने की स्थिति में नहीं होता था. जलापूर्ति के लिए राशनिंग करनी पड़ती थी.
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