Ranchi: झारखंड में तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य के 35000 से ज्यादा वकीलों का प्रतिनिधित्व करने वाला बार काउंसिल अबतक एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं करवा पाया. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चुनाव में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को बड़ा मुद्दा बनाया गया और इस मुद्दे पर राजनीति करके कई प्रत्याशियों ने अपनी जीत भी सुनिश्चित की. लेकिन चुनाव जीतने के बाद अब तक एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के मुद्दे पर कुछ निर्वाचित सदस्यों को छोड़कर किसी में खास जुझारूपन नहीं दिखता. ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या यह सिर्फ एक चुनावी मुद्दा है या फिर वकीलों का वोट पाने के लिए लॉलीपॉप ?
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एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करवाना बेहद जरूरी
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा है कि झारखंड के वकीलों की सुरक्षा उनके लिए पहली प्राथमिकता है और इसके लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करवाना बेहद जरूरी है.अब जल्द ही वे काउंसिल के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी मांगें उनके सामने रखेंगे.
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के मीडिया कन्वेनर संजय विद्रोही कहते हैं की पूरे राज्य के वकील इस इंतजार में थे कि काउंसिल की नई कमिटी एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के मुद्दे पर तत्परता दिखाएगी, लेकिन उनकी उम्मीद पूरी नहीं हुई. झारखंड के सभी अधिवक्ता अब तक शांत हैं लेकिन उनके सब्र का बांध टूटा तो वे अपनी इस मांग के लिए आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे. कुछ वर्षों में जिस तरह से झारखंड के अधिवक्ता पुलिस, अपराधी और आम लोगों की हिंसा का शिकार हुए हैं उसके बाद अब इस एक्ट के लिए जल्द आंदोलन भी शुरू किये जाने की तैयारी है
अधिवक्ताओं के साथ हुई कुछ हिंसक घटनाएं
- गढ़वा में तत्कालीन एसपी मो अर्शी के बॉडीगार्ड के द्वारा अधिवक्ता आशीष दुबे के साथ मारपीट
- धनबाद में एक अधिवक्ता की गेट काटकर पुलिस द्वारा गिरफ्तारी
- रांची में अधिवक्ता रामप्रवेश सिंह के घर में घुसकर अपराधियों द्वारा हत्या
- जमशेदपुर में अधिवक्ता प्रकाश यादव की हत्या
- रांची की एक महिला अधिवक्ता के साथ पुलिस द्वारा बदसलूकी
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