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20 साल बाद सेना को मिली नयी SIG-716 असॉल्ट रायफलें, आतंकियों के खिलाफ हो रहा इस्तेमाल

Lagatar Desk : भारतीय सेना डस्टलिक -2 सैन्य अभ्यास में व्यस्त हैं. इस बार भारतीय फौजियों के हाथों में एक नया मारक SIG-716 हथियार है. उत्तराखंड में रानीखेत के पास चौबटिया में भारतीय सैनिक उज्बेकिस्तानी सैनिकों के साथ डस्टलिक -2 सैन्य अभ्यास चल रहा है. यह हथियार अमेरिकी कंपनी सिग सॉयर की असॉल्ट">https://lagatar.in/now-abortion-will-be-possible-in-24-weeks-rajya-sabha-also-passed-abortion-amendment-bill-2020/38745/">असॉल्ट

रायफल ( SIG-716 )है. पिछले साल पूर्वी लद्दाख में चीन से सैन्य टकराव के बीच केंद्र सरकार ने भारतीय सेना के लिए इन रायफलों की खरीद को मंजूरी दी थी. अमेरिकी कंपनी `सिग सॉयर` को ऑर्डर की गयी 72 हजार असॉल्ट राइफल्स मेंम आधी यानी 50 प्रतिशत भारतीय सेना को मिल गयी है. ऐसी संभावना है कि चीन और पाकिस्तान की अग्रिम मोर्चों पर तैनात जवानों के हाथों में नयी अमेरिकी राइफल्स होंगी. गौरतलब है कि करीब 20 साल बाद भारतीय सेना को कोई नयी असॉल्ट राइफल मिली है. इससे पहले कारगिल युद्ध के दौरान यानी 1990 के दशक के आखिर में सेना को स्वदेशी इंसास राइफल मिली थीं, जो 5.56x45 बोर की थीं.

करीब एक दर्जन देशों की पुलिस और सेनाएं करती हैं प्रयोग

भारतीय">https://lagatar.in/former-jamtara-mla-vishnu-bhaiyas-health-deteriorated-admitted-to-icu/38744/">भारतीय

सेना ने फरवरी, 2019 में अमेरिकी कंपनी `सिग सॉयर` से 600 मीटर दूरी तक मार करने की क्षमता वाली 72 हजार असॉल्ट रायफलों का ऑर्डर दिया था. फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) सौदे के तहत 647 करोड़ रुपये से इनकी खरीद हुई. 7.62X51 मिमी. कैलिबर की इन असॉल्ट राइफल्स की पहली खेप जब आयी, तो सबसे पहले इसे जम्मू-कश्मीर के उधमपुर स्थित उत्तरी कमान को दिया गया. भारतीय सेना इन राइफल्स का इस्तेमाल अपने एंटी-टेरर ऑपरेशन में कर रही है. इन एमेरिकी असाल्ट राइफल्स का उद्देश्य होता है `शूट टू किल` . इसलिए अमेरिका के अलावा दुनियाभर की करीब एक दर्जन देशों की पुलिस और सेनाएं इनका इस्तेमाल करती हैं. भारतीय सेना को करीब 36 हजार असॉल्ट राइफल्स इसी माह मिल गयी हैं. फिलहाल उज्बेकिस्तान के साथ चल रहे सैन्य अभ्यास में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे भी पढ़ें : TMC">https://lagatar.in/mamta-banerjee-released-tmc-election-manifesto/38760/">TMC

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एलओसी और एलएसी पर तैनात पैदल सेना को मिलेगी रायफल

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि भारतीय सेना की सभी पैदल सेना की बटालियनों को सिग सॉयर राइफलें मिली हैं. एलओसी और एलएसी पर तैनात बटालियनों को अधिक संख्या में राइफलें मिली हैं. अन्य बटालियनों को कम से कम 50 प्रतिशत दी गयी हैं.

SIG-716 ही क्यों

SIG-716 को अमेरिकी कंपनी `सिग सॉर` बनाती है. इसे दुनिया की सबसे बेहतरीन राइफलें बनाने के लिए जाना जाता है. SIG-716 को एलओसी, एलएएसी समेत काउंटर इनसर्जेंसी ऑपरेशंस के लिए उपलब्धक कराया गया है. भारतीय सेना आमतौर अपने ऑपरेशंस में AK-47 और INSAS राइफलों का इस्तेमाल करती आयी है. कश्मीयर में आतंकी 300 मीटर रेंज की AK-47 यूज में लाते रहे हैं. यानी दोनों तरफ से बराबर रेंज वाले हथियार. इससे सैनिकों को आतंकियों का सफाया करने के लिए उनके पास तक जाना पड़ता था. बेवजह खून बहता था. INSAS की रेंज 400 मीटर है. पर यह भरोसेमंद नहीं. इसकी 5.56mm कैलिबर गोली से दुश्म न घायल होता था. नतीजन कई गोलियां लगने के बावजूद आतंकी मुकाबला करते रहते थे. मारने के लिए क्लोज रेंज जरूरी था.अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ यही दिक्कंत झेली थी. इसके बाद एक नयी असॉल्ट राइफल पर काम शुरू हुआ. ऐसे 600 मीटर रेंज वाले शूट टु किल असॉल्ट राइफल SIG-716 का विकास हुआ. इसे भी पढ़ें : अब">https://lagatar.in/now-abortion-will-be-possible-in-24-weeks-rajya-sabha-also-passed-abortion-amendment-bill-2020/38745/">अब

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