- फिर भेजेंगे राज्य के 14 सांसदों, 81 विधायकों को रिमाइंडर लेटर
- 23 मई 2015 को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई को सौंपी गई थी जांच
- कई एजेंट तनाव और निवेशकों के दबाव में आकर कर चुके हैं खुदकुशी
में दर्जनों नन बैंकिंग कंपनियों के एजेंट 6 साल से इंसाफ के लिए भटक रहे हैं. मुख्यमंत्री से लेकर राज्य के सभी 81 विधायकों और सांसदों से गुहार लगाने के बाद भी इन्हें कोई मदद नहीं मिली है. 25000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला कर चिटफंड कंपनियां राज्य के करीब 3000 लोगों का पैसे लेकर भाग गई. इन कंपनियों के भागने के बाद लोगों से निवेश कराने वाले एजेंट बुरी तरह फंस गये. कई एजेंटों पर केस हुए, गिरफ्तारियां हुईं. 6 सालों में कोडरमा, दुमका और धनबाद समेत कई जगहों पर नन बैंकिंग कंपनियों के एजेंट ने तनाव और दबाव में आकर खुदकुशी कर ली है. हाईकोर्ट के दखल के बाद 23 मई 2015 को न मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई. 120 मामलों पर सीबीआई ने जांच शुरू की, फिर धीरे-धीरे झारखंड पुलिस से भी नन बैंकिंग कंपनियों के घोटाले के 215 मामले सीबीआई को सौंपी गई, लेकिन अबतक एजेंटों को राहत नहीं मिली है. इसे भी पढ़ें : हजारीबाग:">https://english.lagatar.in/hazaribagh-police-seized-96-packets-of-cannabis-from-car-but-smuggler-escaped/45857/">हजारीबाग:
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