Surjit Singh
आज (15 फरवरी) के अखबारों के कारोबार पेज पर खबर है, महंगाई दर कम हो गयी. बड़ी-बड़ी हेडलाइन में बताया गया है कि खुदरा के बाद थोक महंगाई दर में भी कमी आ गयी. इस बीच आपको यह नहीं बताया जा रहा है कि आपकी रोटी महंगी हो गयी. वह भी तब जब सरकार के गोदामों में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा गेहूं है.
खबरों में यह छिपा लिया गया है कि 6 फरवरी को गेहूं का थोक मूल्य 3095 रुपया प्रति क्विंटल था. जिसकी कीमत 13 फरवरी को बढ़ कर 3250 रुपये हो गया. यानी 155 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी. अब आप जो आटा खरीदेंगे, वह आपको प्रति किलो कम से कम 1.50 रुपये महंगी मिलेगी.
गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी तब हुई है, जब केंद्र सरकार के गोदामों में पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा गेहूं है. वर्ष 2023 में केंद्रीय पूल में 154.44 लाख टन गेहूं था. वहीं वर्ष 2024 में 132.66 लाख टन और अभी वर्ष 2025 में 161.74 लाख टन गेहूं मौजूद है.
मौसम और पैदावार के हिसाब से भी देखें तो गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी समझ से परे है. विशेषज्ञों के मुताबिक, अभी जिस तरह का मौसम चल रहा है, वह गेहूं की फसल के लिए अनुकूल है. फसल बेहतर स्थिति में है. फसल में रोग लगने की रिपोर्ट भी नहीं है. अनुमान है कि इस साल देश में गेहूं उत्पादन की स्थिति बेहतर रहेगी.
सरकार के आंकड़े कह रहे हैं कि महंगाई दर में कमी आयी है. गोदाम में पहले से ज्यादा गेहूं का स्टॉक है. मौसम भी सही है. पैदावार भी ज्यादा होने की उम्मीद है. फिर भी गेहूं की कीमत बढ़ रही है. रोटी हर कोई खाता है. अमीर-गरीब सभी. लेकिन सरकार को शायद ही उनके खाने की कीमत बढ़ने की चिंता है. और अगर है भी तो दिख तो नहीं रही.