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अमित शाह ने इमरजेंसी को याद किया, कहा, लोकतंत्र का गला घोंटा गया, पीएम मोदी की किताब का विमोचन 25 जून को

New Delhi :  गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल के 50 साल पूरे होने के अवसर पर यहां आयोजित एक सेमिनार को संबोधित किया. अमित शाह ने इसे देश के लोकतांत्रिक इतिहास का अहम पल करार देते हुए कहा कि जब किसी भी अच्छी या बुरी घटना को 50 साल हो जाते हैं, तो लोग उसे भूलने लगते हैं.

 

 

 

अमित शाह ने कहा कि 50 साल में हमारी याददाश्त धुंधली हो जाती है. यह आपातकाल के समय की लड़ाई ही थी, जिसने भारत में लोकतंत्र को जीवित रखा. यह बात साफ हो गयी कि भारत की जनता कभी भी तानाशाही को स्वीकार नहीं करेगी. 

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज वो लोग कांग्रेस के साथ खड़े हैं,  जिनकी सरकारें उस समय गिर गयी और 19 महीने जेल में रहे. अमित शाह ने कहा कि उनमें समाजवादी थे, डीएमके वाले भी थे. उस समय बहुत से लोग थे, जो अब कांग्रेस के साथ बैठे हैं. आज वो लोकतंत्र पर सवाल उठा रहे हैं.  

 

अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस से ज्यादा मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि किस हक से वो ये सवाल उठा रहे हैं? आप किस पार्टी के साथ बैठे हैं? जिस पार्टी ने लोकतंत्र की हत्या की.

 

आपातकाल के 50 साल कार्यक्रम को संबोधित करते हुएअमित शाह ने कहाकि पीएम मोदी ने इस पर एक किताब लिखी है. इसका कल  25 जून को विमोचन होगा.  यह किताब आपातकाल के दौरान और उसके बाद हुए संघर्षों और घटनाक्रमों पर है
 

गृह मंत्री अमित शाह ने सेमिनार में कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र का गला घोंटा गया. इससे हजारों परिवारों का जीवन प्रभावित हुआ. कई लोगों के करियर बर्बाद हो गये.  लोगों को जेलों में डाल दिया गया.  लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी छीन ली गयी.


अमित शाह ने जानकारी दी कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में नोटिफिकेशन जारी किया था, जिससे नयी पीढ़ी को इस काले अध्याय की जानकारी मिले. इस क्रम में अमित शाह ने कहा,  जब पीढ़ियों में बदलाव आता है,  तो ऐसे विषयों पर संगोष्ठी आयोजित करना ज़रूरी हो जाता है, ताकि लोग इतिहास से सबक लें सकें. उससे कुछ सीख सकें. 


 
अमित शाह ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है.  संविधान निर्माताओं ने जनता की भावनाओं को शब्दों में व्यक्त किया है. उन्होंने 1975 में लागू किये गये आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक ऐसा समय था, जब लोकतंत्र की हत्या का गयी. सिवाय तानाशाह और उनके सहयोगियों के, कोई भी उस समय खुश नहीं था. अमित शाह ने कहा कि यही कारण रहा कि आपातकाल के बाद देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. 
 

 

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