Ranchi : झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय इंटरमीडिएट अनुबंध शिक्षक संघ, रांची ने आज तीनों मंत्रियों (रामदास सोरेन, सुदिव्य कुमार सोनू और दीपिका पांडेय सिंह) को संयुक्त रूप से ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के जरिये संघ ने राज्य के डिग्री कॉलेजों के इंटर प्रभागों में कार्यरत संविदा शिक्षकों व कर्मचारियों की सेवा के नियमितीकरण और इंटर में नामांकन व अध्यापन कार्य को पूर्ववत बनाए रखने की मांग की है.
संघ की राज्य सरकार से अपील
संघ ने राज्य सरकार से शीघ्र संज्ञान लेकर शिक्षकों को न्याय दिलाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को नियमित नहीं किया गया, तो यह संविधान, शिक्षा व्यवस्था और न्यायपालिका के आदेशों का उल्लंघन होगा.
संघ की प्रमुख मांगें
- संविदा शिक्षकों का नियमितीकरण : वर्ष 2009 से कार्यरत शिक्षको व कर्मचारी, जिनकी नियुक्ति विज्ञापन और साक्षात्कार के माध्यम से हुई थी, को न्यायिक आदेशों के अनुरूप नियमित किया जाए.
- इंटर प्रभाग की निरंतरता : इंटर में नामांकन और अध्यापन कार्य को जारी रखा जाए.
- Artificial Break पर रोक : Artificial Break की अन्यायपूर्ण परंपरा पर रोक लगाई जाए,
- न्यायालयों के आदेशों का अनुपालन : झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित किया जाए.
- मानवाधिकार की रक्षा : संविदा शिक्षकों का मानवाधिकार और जीवनाधिकार की रक्षा सुनिश्चित की जाए.
फैक्ट फाइल :
- वर्ष 2009 से कार्यरत संविदा शिक्षक/कर्मचारी राज्य के डिग्री कॉलेजों के इंटर प्रभागों में विज्ञापन और साक्षात्कार के माध्यम से नियुक्त किए गए हैं.
- झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) द्वारा इनकी सेवा को स्वीकृति प्राप्त है.
- विश्वविद्यालयों के अभिषद् द्वारा इनकी नियुक्ति अनुमोदित है.
- वेतन का भुगतान कॉलेजों की आंतरिक आय से JAC व राज्य शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत होता रहा है.
इंटर प्रभाग की संरचना व योगदान :
- इंटर प्रभाग की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है. इसी आय से वर्षों तक भवन, पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं, उपकरण आदि का विकास हुआ है.
- वर्तमान डिग्री कॉलेज प्रभागों की आधारशिला इंटर प्रभाग द्वारा ही रखी गई है.
न्यायिक निर्देश व उल्लंघन :
- नरेंद्र कुमार तिवारी व अन्य मामलों में झारखंड उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियमितीकरण का स्पष्ट आदेश है.
- इसके बावजूद नियमितीकरण नहीं किया गया,और बार-बार Artificial Break देकर सेवा में बाधा पहुंचाई गई.
- शिक्षकों को आज तक उचित वेतनमान नहीं मिला, जिससे जीविकोपार्जन कठिन हो गया है.
- G.S. मणि बनाम राज्य पश्चिम बंगाल एवं कर्नाटक के वाद (Writ No. 11976/202) में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) को बिना संसाधन उपलब्ध कराए किसी राज्य पर लागू नहीं किया जा सकता.
- झारखंड जैसे संसाधन-वंचित राज्य में, तब तक इंटर प्रभाग में नामांकन और अध्यापन कार्य को जारी रखा जाना चाहिए.
राजकोषीय तर्क का विरोध :
- संघ ने आपत्ति दर्ज कराई है कि केवल शिक्षकों के नियमितीकरण के मामले में “राजकोष पर बोझ” का तर्क देना न तो उचित है और न ही संवैधानिक.
- यह न केवल मानवाधिकारों का हनन है, बल्कि न्यायिक आदेशों की अवमानना भी है.