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समय पर वेतन और राशन न मिलने से परेशान हैं आंगनबाड़ी सेविकाएं

Avinash kumar Ranchi : गरीब बच्चों की देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा का जिम्मा संभालने वाली आंगनबाड़ी सेविकाएं इन दिनों बेहद परेशान हैं.मुख्य कारण है - समय पर वेतन और राशन नहीं मिलना. हमने रांची शहर के आठ आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा कर वहां की स्थिति जानने की कोशिश की.इस दौरान पीस रोड (लालपुर), किशोरगंज, पहाड़ी टोला, हरमू, लोहरा कोचा और मोरहाबादी क्षेत्र के केंद्रों की सेविकाओं ने अपनी समस्याएं साझा कीं. सरकारी मदद समय पर नहीं मिलती : सेविकाओं ने बताया कि उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र चलाने में समय पर सरकारी मदद नहीं मिलती. कई जगहों पर झोपड़ीनुमा मकानों में केंद्र चलाए जा रहे हैं, जिससे बच्चों के लिए सुरक्षित और स्वच्छ माहौल बना पाना मुश्किल होता है. बच्चों को लाना भी है चुनौतीपूर्ण : केंद्रों में नामांकित बच्चों में से बहुत कम ही प्रतिदिन आते हैं। अधिकांश बच्चों को सेविकाओं को उनके घर जाकर लाना पड़ता है. बच्चों को नाश्ते में हलवा, पूरी और अंडा दिया जाता है, जबकि दोपहर में दाल-चावल, सब्जी या खिचड़ी परोसी जाती है. कर्ज के बोझ तले सेविकाएं : सेविकाओं ने बताया कि उन्हें केंद्र संचालन के लिए अक्सर कर्ज लेना पड़ता है। अधिकतर को किराये पर कमरा लेकर केंद्र चलाना पड़ता है, जिसके लिए 2500 से 3000 रुपये महीना देना पड़ता है, जबकि सरकार से मात्र 750 रुपये किराया भत्ता मिलता है. वेतन मिलने में लगातार देरी : सेविकाओं का कहना है कि उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। जब वेतन मिलता भी है तो टुकड़ों में, कभी सिर्फ राज्य सरकार की ओर से, तो कभी केंद्र की ओर से। इस अस्थिरता ने उनकी आर्थिक स्थिति को जटिल बना दिया है राशन की राशि में भी देरी : राशन के लिए मिलने वाली राशि में भी भारी देरी होती है सेविकाएं बताती हैं .कि सरकार हर छह माह पर राशन की राशि देती है, ऐसे में उन्हें अपने पैसों से राशन खरीदकर बच्चों को खाना देना पड़ता है. कई बार उन्हें उधार लेकर यह व्यवस्था करनी पड़ती है. प्रशासनिक उपेक्षा और अन्य परेशानियां : एक सेविका ने बताया कि जब वे अपनी समस्याएं लेकर सीओ (अंचल अधिकारी) के पास जाती हैं, तो उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। इसके अलावा, राशन वितरण के समय महिलाओं द्वारा ओटीपी न देना या पैकेट वाला राशन न लेना जैसी समस्याएं भी आती हैं। फार्म भरने जैसे काम के लिए महिलाएं तय समय के बाद आती हैं, जिससे सेविकाओं के निजी जीवन पर असर पड़ता है. सेविकाओं की मांगें : आंगनबाड़ी सेविकाएं चाहती हैं कि उन्हें यात्रा भत्ता मिले, राशन की राशि समय पर मिले और किराया भत्ता बढ़ाया जाए ताकि वे बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकें। साथ ही उन्होंने पीएफ की व्यवस्था की भी मांग की है, ताकि रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन का लाभ मिल सके
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