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कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के लिए रहने की सही व्यवस्था ही उनके पलायन का कारण
पोद्दार ने आगे कहा कि एक तरफ दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान नेताओं के लिए पक्के मकान बन रहे हैं, बोरवेल बन रहे हैं, और पंखे-कूलर लगने वाले हैं. दूसरी ओर, यह दुख की बात है कि हमारा ध्यान कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के साइट पर नहीं जाता. उनके लिविंग कंडिशंस की ओर नहीं जाता है. कंस्ट्रक्शन वर्कर्स टीन के शेड में अपनी पूरी जिंदगी साइट टू साइट माइग्रेट करते हुए बिता देते हैं. उनके बच्चों का पूरा बचपन उसी माहौल में बीतता है. न कोई पढ़ाई की सुविधा, न मिनिमम लिविंग स्टैण्डर्ड की सुविधा. उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल में कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के पलायन का मुद्दा काफी प्रमुख था. अगर उनके रहने की व्यवस्था अच्छी होती तो शायद वो पलायन नहीं करते. इसे भी पढ़ें- TMC">https://lagatar.in/mamta-banerjee-released-tmc-election-manifesto/38760/">TMCका चुनावी घोषणा पत्र जारी, ममता ने खोला वादों का पिटारा
वर्तमान सरकार से मजदूरों के लिए कार्यस्थल पर रहने की व्यव्स्था की अपील
आगे उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी ने ये सुविधा दे रखी है कि पोर्टेबल मकान बनाए जा सकते हैं. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जिनके हाथ महलों का निर्माण करते हैं, उनके लिए हम दो-चार साल के लिए ये छोटी-छोटी व्यवस्थाएं सुनिश्चित नहीं कर सकते. नरेंद्र मोदी की सरकार गरीबों और मजदूरों के लिए संवेदनशील है. इस सरकार से उन्होंने आग्रह किया कि इस स्थिति में तुरंत सुधार लाया जाये और मामले में कुछ कार्रवाई की जाये. इसे भी देखें-
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