Surjit Singh
कल, यानी 15 जनवरी को सुशासन बाबू, यानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहुत कुछ तय कर दिया. मसलन अगर अपराध बढ़ता है, तो इस पर सवाल उनसे ना पूछे. सवाल उनसे पूछे जो 15 साल पहले शासन में थे. मतलब जो आज विपक्ष में हैं. नीतीश कुमार यह बात तब कह रहे हैं, जबकि वह खुद 15 साल तक बिहार की गद्दी संभाल चूके हैं. और अब भी वह किसी भी स्थिति के लिये लालू-राबड़ी की सरकार को ही जिम्मेदार बता रहे हैं.
देखा जाये तो नीतीश कुमार ने कुछ नया नहीं कहा है. उन्होंने वही दुहराया है, जो भाजपा पिछले पांच सालों से रट रही है. देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, रोजगार नहीं है, तो इस बारे में 2014 तक सत्ता में रही कांग्रेस से पूछे. बैंकों का एनपीए में रिकॉर्ड वृद्धि हुई, तो कांग्रेस से पूछे. महंगाई बढ़ रही है, जीडीपी गिर रहा है, पेट्रोल-गैस के दाम बढ़ रहे हैं, तो कांग्रेस से पूछो.
मतलब यह कि अगर आप सरकार में हैं, आप ना तो किसी बात के जिम्मेदार हैं और ना ही आपको किसी बात की जवाब देना है. हां, बस शर्त यह है कि सरकार भाजपा या भाजपा समर्थित पार्टी की हो.
तभी तो यही भाजपा और एनडीए में शामिल पार्टियां उन राज्यों में सवाल उनसे ही पूछती हैं, जो सत्ता में हैं. मसलन, अगर पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था का सवाल उठता है, तो सवाल ममता बनर्जी से पूछा जाता है. झारखंड में हेमंत सोरेन से पूछा जाना चाहिये, महाराष्ट्र में शिव सेना व एनसीपी से. लेकिन अगर यही कानून-व्यवस्था का सवाल बिहार या यूपी में उठे, तो सवाल उनसे पहले सत्ता में रही पार्टी व लोगों से पूछा जाना चाहिए.