Ranchi: दल-बदल मामले में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की मुश्किलें फिर से बढ़ सकती हैं. क्योंकि झारखंड विधानसभा की ओर से इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो ने संज्ञान लिया था. साथ ही अध्यक्ष की ओर से जारी किये गये नोटिस पर हाइकोर्ट ने पिछले दिनों अंतिरम रोक लगा दी थी.
जिसके बाद अब झारखंड विधानसभा हाइकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रहा है. यहां बता दें कि झारखंड हाइकोर्ट ने पिछले दिनों बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पीकर के ट्रिब्यूनल में चल रहे दल-बदल मामले की सुनवाई पर 13 जनवरी तक रोक लगा दी थी.
हाइकोर्ट के इसे आदेश को विधानसभा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. झारखंड विधानसभा सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही एसएलपी दायर कर हाइकोर्ट के अंतरिम रोक के आदेश को हटाने की मांग कर सकता है.
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अध्यक्ष की ओर से लिया गया संज्ञान संवैधानिक है – महाधिवक्ता
इस बीच झारखंड विधानसभा के स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने विधायक भूषण तिर्की के आवेदन पर 10वीं अनुसूची के तहत बाबूलाल मरांडी को एक बार फिर 17 दिसंबर को नोटिस जारी किया है. नोटिस में बाबूलाल मरांडी से दोबारा यह पूछा गया है कि क्यों न आपके खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाए? और इस पर बाबूलाल से जवाब मांगा गया है.
पूर्व में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था और बाबूलाल मरांडी को नोटिस जारी किया गया था. जिसपर हाइकोर्ट ने 17 दिसंबर को यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि 10वीं अनुसूची में स्वतः संज्ञान लेकर अध्यक्ष को नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है.
जबकि कोर्ट में सुनवाई के दौरान विधानसभा की तरफ से पक्ष रख रहे महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अपनी जिरह में कहा था कि, दल-बदल के इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से लिया गया संज्ञान संवैधानिक है. साथ ही कहा था कि आर्टिकल 226 के तहत जब तक विधानसभा के न्यायाधिकरण में यह मामला लंबित है, कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
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