NewDelhi : विश्वभारती के 100 वर्ष पूरे होना सभी भारतीयों के लिए गौरव की बात है. मेरे लिए भी सौभाग्य की बात है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है. विश्वभारती, मां भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है.
यह देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला आराध्य स्थल है
भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है. भारत की आत्मा, भारत की आत्मनिर्भरता और भारत का आत्मसम्मान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. कहा कि भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए तो बंगाल की पीढ़ियों ने खुद को खपा दिया था.
PM Narendra Modi attends centenary celebrations of Visva-Bharati University in Shantiniketan, West Bengal, via video conferencing. pic.twitter.com/iYfqnHjMYa
— ANI (@ANI) December 24, 2020
सीएम ममता बनर्जी को भी बुलाया गया था
पश्चिम बंगाल स्थित विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने यह उद्गार व्यक्त किये. बता दें कि वर्चुअली आयोजित इस कार्यक्रम में देश के कई शिक्षाविद् हिस्सा ले रहे हैं. प्रधानमंत्री ने शुरू में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर को याद किया. खबरों के अनुसार इस समारोह में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को भी बुलाया गया था. अंत साय तक ममता बनर्जी के आने पर असमंजस बना रहा.
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पीएम ने स्वतंत्रता संग्राम की भी चर्चा की
समारोह में प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कहा कि भारत इंटरनेशनल सोलर एलायंज के माध्यम से इस दिशा में विश्व में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है. भारत पूरे विश्व में इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस अकॉर्ड के पर्यावरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. पीएम ने स्वतंत्रता संग्राम की भी चर्चा की. कहा कि भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी
वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी. विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे. आपके विश्वविद्यालय का नाम ही देखिए. विश्व-भारती। मां भारती और विश्व के साथ समन्वय. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है. गुरुदेव ने हमें स्वदेशी समाज का संकल्प दिया था.