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सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी के खिलाफ FIR होने पर भड़के बाबूलाल, क्या है आरोप

Ranchi/Deoghar : देवघर पुलिस ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम समेत अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. पुलिस ने मामले में अभियुक्त बनाये गये देवता पांडे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. देवघर से शिवदत्त शर्मा नामक व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज करायी है. यह मामला मीडिया की सुर्खियों से दूर था. इस बीच झारखंड में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने 23 जुलाई की रात एक ट्विट करके इस पर आपत्ति जताते हुए लिखा है कि झारखंड सरकार व यहां के अधिकारी निशिकांत दुबे व उनके परिवार को परेशान कर रहे हैं. ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि आखिर प्राथमिकी में आरोप क्या-क्या है.

 

शिवदत्त शर्मा, देवघर के परित्राण ट्रस्ट के सचिव हैं. शिवदत्त शर्मा ने जो प्राथमिकी दर्ज करायी है, उसमें बाबा बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट के अध्यक्ष अनामिका गौतम, सचिव बिमल अग्रवाल और ट्रस्ट के ट्रस्टी देवता पांडेय को अभियुक्त बनाया गया है. पुलिस ने सभी के खिलाफ भादवि की धारा 316, 318, 338, 336, 340, 3339 आर/डब्ल्यू 61(2),  बीएनएस के अनुरूप धारा 406, 420, 467, 468, 471, 474 आर/डब्ल्यू 120बी और 34 (आईपीसी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.

 

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परित्राण ट्रस्ट द्वारा एमएआरबी को की गई शिकायत पत्र

 

प्राथमिकी के मुताबिक देवघर जिले में 26.5 एकड़ जमीन परित्राण ट्रस्ट की है, जिसका खाता संख्या-11 है. शिवदत्त शर्मा ने इस जमीन पर करोड़ों रुपये खर्च कर परित्राण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) के लिए भवन समेत अन्य संरचनाओं का निर्माण कराया. जिसके बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की अधिनियम 2019 के तहत जरुरी प्रक्रियाओं व संबद्धताओं के लिए कोशिशें तेज की. साथ ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए अनुमति मांगी.

 

एमबीबीएस कोर्ट चलाने की अनुमति मिलने में देरी के दौरान बैंक से लिया गया 93 करोड़ रुपया का लोन डिफॉल्ट हो गया. जिसकी वसूली के लिए बैंकों ने कानूनी कार्रवाई शुरू की. प्राथमिकी में शिवदत्त शर्मा ने आरोप लगाया है कि इसी दौरान 24 जून 2023 को बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट की अध्यक्ष अनामिका गौतम अपने पति निशिकांत दुबे के साथ शिवदत्त शर्मा से मिलीं.

 

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सांसद निशिकांत दुबे और अनामिका गौतम (फाइल फोटो)

 

निशिकांत दुबे से शिवदत्त शर्मा की पुरानी जान-पहचान थी. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि उस मुलाकात के दौरान निशिकांत दुबे ने डीआरटी (Debt Recovery Tribunal) में ट्रस्ट को मदद करने का वायदा किया. उन्होंने नकद 20 लाख रुपये और ट्रस्ट की संपत्ति से संबंधित सभी दस्तावेज, जिसमें संबद्धता प्रमाण पत्र की प्रति और अनिवार्यता प्रमाण पत्र भी शामिल था, ले लिया. उन्होंने शिवदत्त शर्मा को भरोसा दिलाया कि वह परित्राण ट्रस्ट को मदद करेंगे. 

 

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि 20 लाख रुपये वापस नहीं किया गया. उस राशि का इस्तेमाल बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट बनाने के लिए किया गया. जिस संपत्ति पर शिवदत्त शर्मा ने 93 करोड़ रुपये का लोन लिया था, उसकी नीलामी शुरु की गई. नीलामी में बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट को एकल बोलीदाता होने की वजह से 60.10 करोड़ रुपये की कीमत पर बैंक में गिरवी संपत्ति का खरीददार घोषित किया गया. नीलामी में कथित तौर पर हुई गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए शिवदत्त शर्मा ने 28 मार्च 2024 को जसीडीह थाना में एक केस दर्ज कराया, जिसका नंबर 96/2024 है. 

 

शिवदत्त शर्मा ने प्राथमिकी में बिक्री नीलामी को अवैध बताते हुए कई तरह की अनियमितता का आरोप लगाया था. कहा गया है कि भूमि, भवन आदि का मूल्य 150 करोड़ रुपये से अधिक था, उसे केवल 60 करोड़ रुपये में एकमात्र बोलीदाता को दे दिया गया. इस फैसले के खिलाफ शिवदत्त शर्मा ने वित्त मंत्रालय की डीआरटी में अपील (477/2025) भी दायर किया है. 

 

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देवघर पुलिस की गिरफ्त में फर्जीवाड़ा करने का आरोपी देवता पांडे

शिवदत्त शर्मा ने प्रथामिकी में यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने व्यक्तिगत रुप से जानकारी है कि डीएसआर इंपैक्स प्राइवेट लिमिटेड, शरीन हायर परचेज प्राइवेट लिमिटेड, आरके फिनट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, रोस्को वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड, बीएलबी स्टॉक प्राइवेट लिमिटेड, मधुधन बार्टर प्राइवेट लिमिटेड, नीलगगन कॉमोडील प्राइवेट लिमिटेड, शुभकारी मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, एरोलिंक विनट्रेड प्राइवेट लिमिटेड व अंगीतिया टावर प्राइवेट लिमिटेड ने बाबा बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट में भारी मात्रा में फंड ट्रांसफर किया है. जबकि ये सारी कंपनियां कथित तौर पर फर्जी हैं. 

 

प्राथमिकी में कहा गया है कि उन्होंने (शिवदत्त शर्मा) कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट से इन कंपनियों के पंजीकृत पते मिले और मैंने (शिवदत्त शर्मा) व्यक्तिगत रूप से जाकर इन पतों को सत्यापित करने का भी प्रयास किया, लेकिन पंजीकृत पते पर कोई कार्यालय संचालित नहीं पाया गया.

 

प्राथमिकी में यह भी उल्लेख किया गया है कि मुझे (शिवदत्त शर्मा) व्यक्तिगत रूप से यह भी पता चला है कि राजवीर कंस्ट्रक्शन के निदेशकों, विमल कुमार अग्रवाल और पुनीत कुमार अग्रवाल के ठिकानों पर जीएसटी की छापेमारी हुई थी, जिसमें बड़ी अनियमितताएं पाई गईं. विमल कुमार अग्रवाल और पुनीत कुमार अग्रवाल द्वारा बाबा बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट को बड़ी मात्रा में फंड दिया गया है. 

 

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि बाबा बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट की अध्यक्ष अनामिका गौतम, सचिव बिमल अग्रवाल और आरोपी ट्रस्ट के ट्रस्टी देवता पांडे ने एक-दूसरे और अन्य अज्ञात लोगों के साथ मिलीभगत और षड्यंत्र करके राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत बेईमानी और धोखाधड़ी से नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की अनुमति के लिए आवेदन किया है.

 

प्राथमिकी में आगे यह आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को गुमराह करने, परित्राण ट्रस्ट के साथ धोखाधड़ी करने और परित्राण की अनुमति के बिना गलत तथ्यों के आधार पर झूठा दावा किया गया है. 

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