Ranchi : बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को पत्र लिखा है. पत्र में कहा है कि अगर कोई गैर विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करता है और उसका अनुरोध मान लिया जाता है, तो यह पूरे राज्य को संवैधानिक संकट में डाल देगा. पत्र में गांडेय विधानसभा में उपचुनाव से पहले नियमों का पालन करने का आग्रह किया है.
इसे भी पढ़ें –इंडिगो फ्लाइट की पटना एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग, बिहार के सांसद और मंत्री भी थे मौजूद
यह प्रथा संवैधानिक प्रावधानों के प्रति है अपमानजनक
बाबूलाल ने पत्र में कहा है कि इस तरह की प्रथा स्पष्ट रूप से संवैधानिक प्रावधानों के प्रति अपमानजनक, अनुचित, अलोकतांत्रिक और अमान्य होगी. अनुच्छेद 164(4) केवल विधायिका के सदस्यों के मंत्री होने के सामान्य नियम के अपवाद की प्रकृति में है, जो लगातार छह महीने की छोटी अवधि तक सीमित है. इस अपवाद को अत्यंत असाधारण स्थिति से निपटने के लिए अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाना आवश्यक है. इसका कड़ाई से अर्थ लगाया जाना चाहिए और संयमित रूप से उपयोग किया जाना चाहिए.
अनुच्छेद 164(4) का दिया हवाला
बाबूलाल ने अनुच्छेद 164(4) का हवाला देते हुए कहा है कि यदि संबंधित व्यक्ति लगातार छह महीने की छूट अवधि के भीतर विधायिका के लिए निर्वाचित नहीं हो पाता है, तो वह मंत्री नहीं रह जाएगा. ऐसे में उपचुनाव की अनुमति नहीं दी जा सकती. लोकतांत्रिक प्रक्रिया जो हमारी संविधान योजनाओं के मूल में निहित है, उसका इस तरह से उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
अपनी राय से चुनाव आयोग को कराया अवगत
बाबूलाल ने पत्र के माध्यम से चुनाव आयोग को अपनी राय से भी अवगत कराया है. कहा है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि एक गैर-विधायक मुख्यमंत्री को भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 के आदेश के अनुसार, अपने कार्यालय की तारीख से 6 महीने के भीतर विधायक बनना होगा. पांचवीं झारखंड विधानसभा के लिए किसी भी विधानसभा सीट के लिए आयोजित, कोई भी व्यक्ति जो गैर-विधायक है, मुख्यमंत्री व मंत्री की शपथ नहीं ले सकता है, क्योंकि यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत होगा और उक्त व्यवस्था होगी. पूरी तरह से अलोकतांत्रिक हो.
इसे भी पढ़ें –सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड: पांकी विधायक शशिभूषण मेहता ने जवाब के लिए हाईकोर्ट से मांगा समय
[wpse_comments_template]