NewDelhi : भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि बांग्लादेश बड़ा छटपट कर रहा है, उसको भी गंगा नदी का पानी बंद करने का समय आ गया है. पानी पीकर जीयेगा हमसे, गायेगा पाकिस्तान से.
गंगाजल इन पापियों को? pic.twitter.com/uZ4vAUNpun
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) April 26, 2025
बांग्लादेशी भी बड़ा छटपट कर रहा है,उसको भी गंगा नदी का पानी बंद करने का समय आ गया है, पानी पीकर जीएगा हमसे,गायेगा पाकिस्तान से
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) April 26, 2025
उन्होंने एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, गंगाजल इन पापियों को? बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में निशिकांत दुबे ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट कर बांग्लादेश पर हल्ला बोला.
बत दें कि एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के एक सलाहकार ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव से मुलाकात की थी. भाजपा सांसद ने उसी रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है,
रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के कानूनी सलाहकार डॉ आसिफ नजरूल पहलगाम हमले के एक दिन बाद ढाका में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सीनियर ऑपरेटिव इजहार से कथित तौर पर मिले थे.
पहलगाम में लश्कर के आतंकियों द्वारा 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या करने के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुआ सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया है.
अटारी चेक पोस्ट बंद करने के साथ पाकिस्तानी नागरिकों को जारी वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिये गये हैं. इसके अलावा कई निर्णय लिये गये हैं.
निशिकांत दुबे ने मोदी सरकार के सिंधु जल संधि को निलंबित करने के निर्णय की प्रशंसा करते हुए कहा था कि अब पाकिस्तान पानी के बिना मर जायेगा.
एक अन्य पोस्ट में गोड्डा के भाजपा सांसद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर तंज कसते हुए कहा था कि 1960 में नोबेल पुरस्कार पाने के लिए वह सांप को पानी पिलाने के लिए तैयार हो गये.
मामला यह है कि सिंधु जल संधि पर 19 सितंबर, 1960 को जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किये थे.
भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 में हुए गंगा जल बंटवारा संधि हुई थी. खबरों के अनुसार यह संधि 1975 में फरक्का बैराज के निर्माण के बाद उत्पन्न विवाद को सुलझाने के लिए की गयी थी. यह संधि 30 साल के लिए की गयी थी जो 2026 में समाप्त होने वाली है.
भारत में गंगा नदी पर बना फरक्का बैराज पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है. कलकत्ता बंदरगाह में जलस्तर जहाजों के परिवहन लायक बनाये रखने के लिए 1975 में फरक्का बैराज का निर्माण किया गया था. संधि में पानी की उपलब्धता के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच जल का बंटवारा तय हुआ था.
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