Ranchi: झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में मनमाने तरीके से कार्य किये जा रहे हैं. बैंक बाइलॉज की भी अनदेखी की जा रही है. वित्तीय अनियमितता को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में सिमडेगा के नील जस्टिन बेक ने शिकायत दर्ज करायी थी. इसे लेकर निबंधक सहयोग समिति की ओर से जांच भी करायी गई. लेकिन प्राप्त सूचना के अनुसार, जांच कमेटी की रिपोर्ट आ जाने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाही नहीं की गई. न ही शिकायर्ता को इस संबंध में कोई सूचना दी गई.नील जस्टिन बेक ने अपनी शिकायत पत्र में निदेशक परिषद पर कई गंभीर आरोप लगाये थे. जिसमें निदेशक मंडल की ओर से अपनों को लाभ पहुंचाने के लिये फर्जी ऋण भी बांटने का खेल किया.
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बैंक के निदेशक मंडल पर लगाये गये हैं गंभीर आरोप
डाटा सेंटर के नाम पर सिग्मा सॉल्यूशन की विपत्र के भुगतान की संचिका में निदेशक परिषद के निदेशक शंभू चरण कर्मकार और सुरेंद्र यादव बिना किसी जांच प्रतिवेदन के ही बैंक पर भुगतान के लिये दबाब बनाया. और यह भुगतान बैंक प्रबंधन ने कर भी दिया.
निदेशक परिषद के सदस्य रघुनाथ यादव ने कम ब्याज दर पर स्कॉपियो को बैंक से फाइनेंस कराया जो बैंक के बायोलॉज के अनुदेशकों को धज्जियां उड़ाता है. इसके लिये बोर्ड में प्रस्ताव पारित कराकर व्यक्तिगत लाभ लिया गया.निदेशक परिषद के सदस्य नगीना सिंह मे अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी अनुशंसा पर रिश्तेदारों को बैंक से 20 लाख का ऋण स्वीकृत कराया, जो बैंक के बायलॉज के विरुद्ध है.
बैंक के नियम कानूनों को ताक पर रखकर अपने भाई,भतीजे को डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर बहाल कराने को लेकर भी शिकायत की गई है. इसके बाद सरकार ने वैसे लोगों को हटाने का निर्देश दिया था. मगर निदेशक परिषद के सदस्य सुरेंद्र यादव और शंभू चरण कर्मकार अपने ही निहित स्वार्थ के चलते डाटा एंट्री ऑपरेटर के संरक्षक बन गये.
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इतना ही नहीं, ऑपरेटर द्वारा किए गए हड़ताल के समय उनका नेतृत्व भी करने लगे थे. निदेशक मंडल के सदस्य ही बैंक प्रशासन के खिलाफ कर्मचारियों को उकसाते रहे हैं. निदेशक शंभू चरण कर्मकार अपने पुत्र एवं भाई को अवैध रूप से बैंक में बहाल करा रखा है.बैक में दबाब बनाने के लिये फर्जी संस्था सहकारिता अध्ययन मंडल भी चलाया जा रहा है. जिसके सचिव सुरेंद्र यादव हैं.
बैंक के निदेशकों पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप भी कई बार लगा है. बैंक में हुए घोटाला का आरोप उमेश चंद्र सिंह,मनोज कुमार गुप्ता पर लगे हैं. इस मामले में दोनों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. पैसे और रसूख के बल पर दोनों की गिरफ्तारी नहीं की जा रही है. कहा यह भी जा रहा है कि नामजद आरोपियों का बैंक के निदेशक मंडल में दबदबा है. पैसे के बल यह दोनों निदेशक परिषद से मनचाही वित्तीय निर्णय निकलवाते हैं.
निदेशक परिषद द्वारा बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक सुनील कुमार से मिलीभगत से 2019 में 50 करोड़ से अधिक का फर्जी ऋण दिया गया. संजय कुमार डालमिया के ड्राइवर विजय कुमार सिंह को 11 मार्च 2019 को बिल परचेज के नाम पर ढाई करोड़ रूपये नियम विरुद्ध ऋण स्वीकृत की गई. बैंंक के बोर्ड द्वारा अब तक ऋण की वसूली नहीं होने पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. इस ऋण वितरण में अध्यक्ष एवं बोर्ड के सदस्य शंभू चरण कर्मकार, सुरेंद्र यादव पर सुधीर कुमार यादव की मिलीभगत बतायी गयी है.
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