Akshay Kumar Jha
Ranchi/Bermo: कोरोना काल के दौरान बेरमो और दुमका विधानसभा उपचुनाव राजनीतिक अखाड़े की शक्ल ले चुका है. बीजेपी की कछुआ चाल और यूपीए की ताबड़तोड़ तैयारी के बीच बेरमो में कुछ ऐसा सुनने और देखने को मिल सकता है, जो काफी रोचक होने वाला है. बेरमो में बीजेपी की तरफ से कौन उम्मीदवार होगा, ये सवाल हर चौक-चौराहे पर है.
रविंद्र पांडे, योगेश्वर महतो बाटुल या मृगांक शेखर यह सवाल सबके लिए अभी तक अनसुलझा है. बाटुल रेस से बाहर दिखायी दे रहे हैं, तो वहीं रविंद्र पांडे पार्टी के निर्णय पर सारा कुछ छोड़ चुके हैं. ‘लगातार’ के संवाददाता से बात करते हुए रविंद्र पांडे ने कहा कि अगर पार्टी उनपर भरोसा करती है, तो वो चुनाव लड़ने को तैयार हैं. और अगर पार्टी टिकट किसी और को देती है, तो वो उसे जिताने में सर्वस झोंक देंगे. ऐसा बयान पांच बार के सांसद रविंद्र पांडे की तरफ से सरेंडर करने वाला लगता है.
वहीं पार्टी के तीसरे चेहरे से भी ‘लगातार संवाददाता’ ने बात की. बातों से टिकट के लिए कॉन्फीडेंट दिख रहे मृगांक शेखर चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार दिखे. उनका कहना है कि बेरमो में चुनाव किसके खिलाफ लड़ रहा हूं, मैटर यह नहीं करता, मैटर यह करता है कि लोगों का कितना भरोसा मैं जीत पाया हूं.
मैं राजनीति में हूं, यह बात विरोधियों ने ही जगजाहिर कीः मृगांक
बेरमो विधानसभा क्षेत्र के गोविंदपुर कोलियरी में पैदा हुआ. प्राइमेरी स्कूलिंग वहीं से की. बाद में रजरप्पा डीएवी से कुछ दिन पढ़ा और वहां से चौथी क्लास में मध्य प्रदेश के ग्लावियर स्थित सिंधिया स्कूल में एडमिशन लिया. सिंधिया स्कूल से मैट्रिक करने के बाद 100 फीसदी स्कॉलरशिप मिली तो इंग्लैंड गया. वहां से लौट कर कर्नाटक से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल में इंजीनियरिंग की.
एडीजी ग्लोबल और आरएसएम इंटरनेशनल में सात साल का कॉरपोरेटिव तजुर्बा है. आइआइएम रांची से एमबीए किया. अपने एमबीए के दौरान ही एक प्रोजेक्ट से जुड़ा. यह प्रोजेक्ट एडैक्मिक से जुड़ा हुआ था. इसी सिलसिले में बेरमो आया और यहां काम शुरू कर दिया. अपने प्रोजेक्ट के लिए सर्वे करना शुरू किया. इसी बीच लोगों से मिलने लगा.
प्रोजेक्ट रोजगार को लेकर था. जुलाई 2019 में मैंने यहां काम शुरू किया और सितंबर तक यह एक राजनीतिक रंग ले लिया. मैं राजनीति कर रहा था या नहीं इस बात को जाहिर मेरे विरोधियों ने ही किया. मृगांक शेखर ने बताया कि कांग्रेस की ही तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बताया गया कि मैं राजनीति से जुड़ चुका हूं. उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो देखकर मैं हैरान था कि आखिर मैं कब राजनीति में आ गया.
बेरमो से जुड़ने की वजह नाना शंकर दयाल सिंह और पिता गोपाल सिंह
आपके पिता गोपाल सिंह सीसीएल सीएमडी रह चुके हैं. क्या आपको इसका फायदा मिल रहा है. इस सवाल पर मृगांक शेखऱ कहते हैं कि मेरे नाना जी स्व. शंकर दयाल सिंह कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वो बाघमारा से चुनाव लड़ते थे. उनका प्रभाव बेरमो में भी था. यूनियन से भी वो काफी हद तक जुड़े हुए थे. 80 की दशक तक नाना राजनीति से जुड़े रहे. धनबाद से सांसद भी रहे. तो राजनीतिक रूप से बेरमो बेल्ट से जुड़ा हुआ रहा. पिता जी सीसीएल में रहने की वजह से बेरमो से हमेशा जुड़ाव रहा. मेरे पिता गोपाल सिंह हमेशा श्रमिकों की हित की बात करते आये हैं.
बेरमो की राजनीति आसान है या मुश्किल यह तो समय बतायेगा
बेरमो मेरे लिए आसान रहेगा या मुश्किल ये तो समय बतायेगा. लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि आपका नाम टिकट के लिए सबसे आगे चल रहा है, आपको कैसा लग रहा है. तो मेरा कहना है कि मुझे एक्साइटमेंट वाली फीलिंग तो नहीं है, लेकिन खुशी जरूर है. मातृभूमि को कर्मभूमि बनाने का मौका मिलेगा. यहां की परेशानियों क दूर कर सकूं, यह मेरे लिए काफी खुशी की बात होगी.
लड़ाई किसी एक वयक्ति या परिवार से नहीं
मेरी लड़ाई यहां किसी एक व्यक्ति या परिवार से है ही नहीं. मैं ऐसी राजनीति करता ही नहीं हूं. मेरी लड़ाई यहां के मुद्दों से है. कैसे स्थितियां सुधरेंगी मैं उसपर काम करना चाहता हूं.
भाजपाइयों का साथ मिल रहा है कि नहीं, इस मामले पर मृगांक ने कहा कि मुझे बीजेपी के हर कार्यकर्ता का साथ मिल रहा है. यह चुनाव सभी को मिलकर लड़ना है.
Bhklol rojgar kuchh nhi diya bjp walo ne bermo m sb apne Jeb bharne m lge rhe election aaya to ye kiya okiya bolte h hum boal rhe h kuchh nhi kiya