Ranchi: राजधानी के सैमफोर्ड अस्पताल में एक ऐसा सफल इलाज किया गया जो मुश्किल और जोखिम भरा भी था. महिला प्रेमलता पाठक को ब्रेन हैम्रेज हुआ था. पता चला की उसे एन्यूरिज्म नाम की रेयर बीमारी है. इस बीमारी में दिमाग की नस गुब्बारे की तरह फूलने लगती है और इसके फूटने पर ब्लीडिंग के बाद मौत हो सकती है. इलाज के लिए जरूरी था एक डिवाइस को महिला के दिमाग के अंदर तक पहुंचाना. डॉक्टरों ने जांघ की आर्टरी के जरिए डिवाइस दिमाग तक पहुंचाई और सक्सेस रहे.
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पूरे झारखंड में इस तरह का इलाज सैमफोर्ड अस्पताल के न्यूरो डिपार्टमेंट के हेड डॉ गणेश कुमार द्वारा किया जाता है. डॉ गणेश कुमार ने कहा कि इसमें दिमाग की नस कमजोर हो जाती है और वह फूल जाता है. इससे ब्रेन हेमरेज का खतरा बढ़ जाता है. इससे बार-बार ब्लीडिंग होती है. इलाज के लिए जरूरी है कि इस सूजन तक ब्लड सप्लाई रोकी जाए. इस सप्लाई को रोकने के लिए ही डिवाइस का इस्तेमाल किया गया. ब्लड सप्लाई रुकने के बाद सूजन अपने आप खत्म हो जाती है.
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ब्रेन की सर्जरी में ढाई घंटे का लगा समय
अस्पताल में महिला को बेहद गंभीर हालत में लाया गया था. डॉक्टरों ने चेक किया और तमाम जांच की, जिसके बाद बीमारी का पता चला. न्यूरो सर्जन डॉ गणेश कुमार ने कहा कि महिला की सर्जरी 2 घंटे तक चली. इसमें डिवाइस को जांघ की आर्टरी में महीन तार से (माइक्रो कैथेटर) डाला गया. डीएसए मशीन (जिसमें नसों के भीतर का चित्र देखा जा सकता है) की स्क्रीन पर अंदरुनी हिस्से को देखते हुए डिवाइस को दिमाग तक पहुंचाया गया. नस जिस जगह फूली थी वहां पर डिवाइस उसी स्टंट की मदद से खोला गया. ऐसा होते ही खून का बहाव सामान्य हो गया. इस सर्जरी को पूरा करने में डॉ गणेश कुमार की टीम के साथ डॉ विशाल, सचिंद्र सचिन, सिस्टर मधु, प्रवीण, अनीता और रविंद्र भी शामिल रहे. अब महिला पूरी तरह से होश में है और लोगों से बातचीत कर रही है. अच्छे तरीके से खाना भी खा रही है.
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डॉ गणेश 15 साल से कर रहे न्यूरो सर्जरी
डॉ गणेश कुमार 15 सालों से न्यूरो सर्जन के रूप में काम कर रहे हैं. पीएमसीएच पटना से एमबीबीएस करने के बाद उन्होंने इंदौर से एमएस किया. एलएनजेपी हॉस्पिटल से सीनियर रेसीडेंसी करने के बाद जीबी पंत हॉस्पिटल से इन्होंने न्यूरोलॉजी की डिग्री ली. इन्होंने इंडोस्कोपिक सर्जरी में भी फेलोशिप किया है. 2005 से न्यूरो सर्जरी का काम कर रहे हैं. 2018 से सैमफोर्ड अस्पताल में न्यूरो डिपार्टमेंट के हेड के रूप में काम कर रहे हैं. 2 साल के छोटे से कार्यकाल में इन्होंने इस अस्पताल में न्यूरो से जुड़े हुए कई जटिल बीमारियों का इलाज किया है.
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सैम्फोर्ड के नाम जुड़ी एक और उपलब्धि
सैम्फोर्ड हॉस्पिटल की ओर से आम मरीजों के साथ कॉर्पोरेट कंपनी में काम करनेवाले लोगों का इलाज भी कैशलेस किया जाता है. देश की बड़ी पावर कंपनी दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) का एमओयू सैमफोर्ड अस्पताल के साथ हुआ है. डीवीसी के झारखंड, बिहार, बंगाल में जो लोग हैं वह भी अब सैम्फोर्ड अस्पताल में इलाज करा पाएंगे. आज शुक्रवार को हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेडिकल डायरेक्टर डॉ घनश्याम सिंह, CEO धनंजय ओझा और डॉ विशाल उपस्थित थे.
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