Patna : बिहार में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान साख जमा अनुपात (सीडी रेशियो) लगभग 58.59% के आसपास बना हुआ है, जो राष्ट्रीय औसत 78% से काफी कम है. यह आंकड़ा राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की त्रैमासिक बैठक में सामने आया. साख जमा अनुपात वह अनुपात होता है, जो यह दर्शाता है कि किसी बैंक ने अपने कुल जमा (Deposits) का कितना हिस्सा कर्ज (Loans) के रूप में उधार दिया है.
5 साल में सीडी रेशियो 43 से बढ़कर 58 फीसदी पहुंचा
पिछले पांच वर्षों में सीडी रेशियो में धीरे-धीरे वृद्धि देखी गई है. 2019-20 में यह 43.03% था, जो 2024-25 तक बढ़कर 58.59% (दिसंबर तक) हो गया है. हालांकि, राज्य सरकार ने बैंकों पर लगातार दबाव डालकर इसे बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन इसके बावजूद कई विकसित राज्यों में यह 100% से भी अधिक है.
वित्त मंत्री ने सीडी रेशियो बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने का दिया निर्देश
राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की त्रैमासिक बैठक में बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने बैंकों से सीडी रेशियो बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने का निर्देश दिया है, और उम्मीद जताई जा रही है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक यह 60% तक पहुंच सकता है. इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अनुपस्थिति थे, जबकि उपमुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों के साथ सभी बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
अब तक केवल 168,930 करोड़ रुपये ही ऋण किए गए वितरित
राजनीतिक दृष्टिकोण से भी सीडी रेशियो को लेकर काफी चर्चा हुई है, खासकर बिहार में ‘डबल इंजन’ सरकार के बावजूद बैंकों का रवैया उतना सकारात्मक नहीं रहा है. बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 323,093 करोड़ रुपये का ऋण बांटने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन अब तक केवल 168,930 करोड़ रुपये ही वितरित किए गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लक्ष्य से काफी पीछे हैं.