Ranchi: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में प्रकाशित अपने एक लेख में सदियों से चले आ रहे किसानों और व्यापारियों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों के बीच में कड़वाहट घोलने का काम किया है. उन्होंने अपने लेख में बेहद गैर जिम्मेदार राजनीतिज्ञ होने का परिचय देते हुए देश के व्यापारियों को नाग और माफ़िया की संज्ञा दी है. उन्होंने अपने लेख में कहा है कि हमारी सरकार ने तीनों कानूनों के माध्यम से किसानों को दलालों और बिचौलियों को नागपाश से मुक्त कराया है.
रघुवर के बयान से मची खलबली
रघुवर दास के इस बयान ने देश भर के व्यापारियों के बीच खलबली मचा दी है. जिसे लेकर कंफेन्डरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को रविवार को एक पत्र भेजकर रघुवर दास को उनके बेहद गैर जिम्मेदाराना बयान के लिए उनपर त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है.
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कैट ने यह भी कहा है कि नड्डा यह भी स्पष्ट करें की जो रघुवर दास ने कहा वो भाजपा की लाइन है क्या ? और यदि भाजपा की लाइन नहीं है तो पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने ऐसा बयान क्यों दिया ?
कैट ने की रघुवर के बयान की तीखी आलोचना
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने रघुवर दास के बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा की देश भर के व्यापारियों को इस कदर अपमानित करना यह बताता है की वो अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं. उन्होंने कहा की सत्ता के नशे में रघुवर दास बेलगाम हो गए हैं. उन्होंने किसानों के मन में व्यापारियों के प्रति विष घोलने का काम कर रहा है.
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा की आज देश में लगभग 12 हजार अरब रुपए का कृषि उपज व्यापार है, जिसमें देश के करोड़ों व्यापारी अपना रोजगार कर रहे हैं. इन तीनों कानूनों के लागू होने के बाद कृषि व्यापार में एकाधिकार बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है जिससे इन सब छोटे व्यापारियों के जीविका प्रभावित होगी. एक तरफ जहां व्यापारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा होगा वहीं दूसरी ओर लगातार व्यापारियों को बिचौलिया, दलाल और माफिया बताकर जलील किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि किसान अपनी उपज को कहीं भी बेच सकेंगे. एक या 2 हेक्टेयर का किसान जो अपनी उपज को मंडी तक ले जाने में सक्षम नहीं है वह देश में कहीं भी बेच सकेगा, यह केवल मृग मरीचिका है. हर बार व्यापारी को दलाल और बिचौलियों का शब्द उनके जहन में डाला जा रहा है जो सरासर गलत है. क्या हजारों साल से इस देश का किसान और व्यापारी का जो सद्भाव रहा है यह उस पर कुठाराघात नहीं है.
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भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा की राजनीतिक उठापटक और यह सब कानून एक तरफ है. लेकिन व्यापारियों और किसानों के बीच सदियों से चले आ रहे सामाजिक सौहार्द पूर्ण संबंधों के बीच वैमनस्य पैदा करने का प्रयास नहीं होना चाहिए. कानून आज है कल नहीं रहेंगे, लेकिन सामाजिक ताना-बाना बिखरने के बाद संभालना बहुत मुश्किल होगा.