Bokaro : एशिया का सबसे बड़ा स्टील कारखाना बनाने के झांसे में आकर बोकारो स्टील प्लांट की टाउनशिप में सिटी सेंटर व सेक्टर मार्केट बसाने के लिए करीब 1100 प्लॉटधारियो ने अपने व्यवसाय और जीवन को दांव पर लगाया था. वो आज पछता रहे हैं यह कहना है कि प्लॉट होल्डर्स वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र विश्वकर्मा का. राजेंद्र ने बताया कि बोकारो स्टील ने अपनी टाउनशिप बसाने के लिए दुनिया के नामी-गिरामी शैक्षणिक संस्थाओं को आमंत्रित किया था और उन्हें मात्र 1 रुपए में कई एकड़ जमीन आवटित कर शैक्षणिक संस्थान का संचालन करने का प्रस्ताव दिया था. इसके साथ ही रोटरी क्लब, लायंस क्लब जैसी अनेक संस्थाओं को आमंत्रित कर उनको भूखंड आवंटित किया गया. मंदिर, मस्जिद आदि के लिए भी जमीन आवंटित की गई थी. अब सभी प्लॉटधारियों से लीज निन्यूअल के लिए करोड़ों रुपए की मांग की जा रही है.
बोकारो को हिंदुस्तान का जापान बनाने का दिया था झांसा
उस समय स्लोगन दिया गया था कि बोकारो में एशिया का सबसे बड़ा स्टील प्लांट होगा, जिसकी क्षमता 10 मिलियन टन होगी और इसे हिंदुस्तान का जापान बनाया जाएगा. इससे आकर्षित होकर बड़े पैमाने पर उद्योगपति व प्लॉटधारी बोकारो में आकर अपना उद्योग लगाए और सिटी सेंटर सेक्टर मार्केट में अपना व्यवसाय शुरू किया था. लेकिन 70 साल बीत जाने के बाद बोकारो स्टील प्लांट की उत्पादन क्षमता घटकर 3.5 मिलियन टन पर आ गई है. वहीं, कर्मचारियों की संख्या भी 60 हजार से घटकर 10000 से भी काम हो गई है. आवासीय कॉलोनियों में जहां बीएसएल के करीब 32000 क्वार्टर हैं, अब वीरान हो गए हैं. ज्यादातर आवासों पर अवैध कब्जा है. शहर की स्थिति भी दयनीय हो गई है. यही वजह है कि बोकारो से व्यवसायियों को अपना व्यवसाय समेटने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
पलॉटधारियों को खटखटाना पड़ा कोर्ट का दरवाजा
अध्यक्ष ने कहा कि बोकारो स्टील प्लांट के लीज नवीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए मांगे जाने से परेशान प्लॉटधारियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. रांची हाईकोर्ट ने प्लॉटधारियों की बात को गंभीरता से सुना और बोकारो स्टील प्लांट के करोड़ों की मांग को गलत बताते हुए आवश्यक निर्देश दिए. न्यायालय ने कहा की बोकारो स्टील प्लांट द्वारा मूल्यांकन की जो पद्धति अपनाई जा रही है वह सही नहीं है. लेकिन प्रबंधन ने कोर्ट का फैसला मानने से इनकार कर दिया और डबल बेंच में अपील कर मामले को लटकाने का काम कर दिया. डबल बेंच में मामले की सुनवाई हुई. अदालत ने पिछले एक साल से अपना फैसला सुरक्षित रखा है. इससे प्लॉटधारी खासे परेशान हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि प्रबंधन लीज नवीकरण के सवाल पर प्लॉटधारियों को प्रताड़ित कर रहा है. पानी बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं को काटने के नाम पर लोगों पर दबाव बनाकर लीज नवीकरण के लिए बाध्य किया जा रहा है. इसके परिणाम स्वरूप बड़े पैमाने पर प्लॉटधारी अपना प्लॉट बेचकर बोकारो से पलायन करने को मजबूर हो गए.
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