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BREAKING : राज्यसभा में सर्वसम्मति से नारी शक्ति वंदन बिल पास, पक्ष में पड़े 215 वोट, विरोध में एक भी नहीं

अब इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हो जाएगा
New Delhi : महिलाओं के लिए नारी शक्ति वंदन बिल गुरुवार को राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया. बिल के पक्ष में 215 वोट पड़े. विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा. सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे ऐतिहासिक विजय बताया. विधेयक के पारित होने के बाद सभापति धनखड़ ने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि हिंदू रीति के अनुसार आज पीएम मोदी का जन्मदिन है. मैं उन्हें कोटि-कोटि बधाई देता हूं. अब इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हो जाएगा. इससे पहले बिल पर लंबी चर्चा के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका जवाब दिया. चर्चा के बाद इस बिल पर राज्यसभा में वोटिंग हुई. सभी सदस्यों की सीट पर मल्टीमीडिया डिवाइस लगी है, इसी के जरिेये सभी राज्यसभा सांसद ने अपना वोट दर्ज कराया. एक दिन पहले ही संसद और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला यह बिल लोकसभा में पास हुआ था. विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े थे, जबकि इसके विरोध में असदुद्दीन ओवैसी और उन्हीं की पार्टी के एक अन्य सांसद ने वोट किया था.

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया निर्णायक क्षण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा से महिला आरक्षण बिल पास होने पर ट्वीट किया. पीएम ने लिखा, हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण! 140 करोड़ भारतीयों को बधाई. मैं उन सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए वोट किया. इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में ख़ुशी देने वाला है. संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत करते हैं. यह महज एक विधान नहीं है, यह उन अनगिनत महिलाओं को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने हमारे देश को बनाया है. भारत उनके लचीलेपन और योगदान से समृद्ध हुआ है. पीएम ने आगे लिखा, जैसा कि हम आज मनाते हैं, हमें अपने देश की सभी महिलाओं की ताकत, साहस और अदम्य भावना की याद आती है. यह ऐतिहासिक कदम यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि उनकी आवाज को और भी अधिक प्रभावी ढंग से सुना जाए.

महिला आरक्षण विधेयक चुनावी जुमला ना बनने पाए : खड़गे

इससे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह बिल स्त्रियों के लिए है लेकिन यह सिर्फ चुनावी जुमले तक सीमित नहीं रहना चाहिए. एक बार गृहमंत्री अमित शाह ने इसी तरह का एक वादा किया था. लेकिन बाद में जब उन्हें उनका वादा याद कराया गया तो उन्होंने कहा था कि वह चुनावी जुमला था. लेकिन हम चाहते हैं कि यह विधेयक चुनावी जुमला नहीं बनना चाहिए.

महिला आरक्षण बिल के लिए सरकार से दो शर्तें रखी

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण बिल पर कहा कि ये बिल विशेष है, महिलाओं के लिए हैं. स्त्री शक्ति के लिए है. इस बिल को हम खराब करना नहीं चाहते लेकिन इस पर मेरी आपत्ति है. इस बिल का क्लॉज 5 कहता है कि आरक्षण तभी लागू होगा, जब परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होगी. परिसीमन की प्रक्रिया जनगणना पूरी होने के बाद कराई जाएगी. इस तरह से महिला आरक्षण से पहले दो अनिवार्य शर्त रखी गई है. पहला जनगणना और दूसरा परिसीमन.

बढ़ जाएगी महिलाओं की ताकत

मेघवाल ने विधेयक को पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है. इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) से बढ़कर 181 हो जाएगी. इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लागू करने के लिए जनगणना और परिसीमन की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि जैसे ही यह विधेयक पारित होगा तो फिर परिसीमन का काम निर्वाचन आयोग तय करेगा.

महिला सांसदों ने किया संचालन

भारतीय जनता पार्टी ने आज हुई चर्चा के लिए 14 महिला सांसदों की टीम को मोर्चे पर उतारा, जिसमें कई मंत्री भी शामिल थे. इस टीम में शामिल महिला सांसदों ने आज राज्यसभा में सरकार और अपनी पार्टी का पक्ष रखा. महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान महिला सांसदों ने सदन का संचालन किया. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने पीटी उषा, जया बच्चन (सपा), फौजिया खान (राकांपा), डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस) और कनिमोई एनवीएन सोमू (द्रमुक) सहित कई महिला सांसदों को उपाध्यक्ष नियुक्त किया. इन महिला सांसदों ने चर्चा के दौरान बारी-बारी से सदन की कार्यवाही का संचालन किया. राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय दिया गया था.
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