Palamu : अपहरण के तीन महीने के बाद बिहार के कारोबारी मिथिलेश प्रसाद और ड्राइवर का नरकंकाल सोमवार को बरामद हुआ था. अपहरणकर्ताओं ने मिथिलेश प्रसाद और ड्राइवर को छोड़ने के लिए 10 लाख रूपये भी लिया और छोड़ा भी नहीं. अपहरणकर्ताओं ने नौ जून की रात नौ बजे 10 लाख रूपया लिया था, जबकि इससे आठ दिन पहले यानी एक जून को ही कारोबारी मिथिलेश प्रसाद और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने झारखंड पुलिस के जवान समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.
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झारखंड पुलिस का जवान चलाता था अपहरण गिरोह
झारखंड पुलिस का एक जवान प्रेमनाथ यादव अपहरण गिरोह चलाता था. इस गिरोह में सिपाही के भाई के साथ-साथ कई लोग शामिल थे. 25 मई को पलामू के नावा बाजार थाना क्षेत्र के कंडा घाटी में कारोबारी मिथिलेश प्रसाद और ड्राइवर श्रवण प्रजापति का जवान प्रेमनाथ ने ही अपहरण किया था. दोनों अपहृतों का नरकंकाल गढ़वा के रमकंडा थाना क्षेत्र के पुनदागा से बरामद हुआ है. दोनों की पहचान के लिए पुलिस डीएनए टेस्ट करवाने वाली है.
इस घटना में शामिल देवघर जिला बल में तैनात सिपाही प्रेमनाथ यादव, उसके ममेरे भाई अजय यादव, चचेरे भाई अमरेश यादव के अलावा सफीक अंसारी और ओमप्रकाश चंद्रवंशी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर ही दोनों अपहृतों का नरकंकाल बरामद किया गया है. गिरफ्तार आरोपियों के पास से पुलिस ने चार रायफल और 80 गोली बरामद किया है. झारखंड पुलिस के जवान द्वारा संचालित गिरोह कई अपहरण की घटना को अंजाम दे चुका है और पूरे गिरोह पर निगरानी रखता था.
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अपहरण के छह दिन बाद कर दी गई दोनों की हत्या
पलामू जिले के नावा बाजार थाना क्षेत्र के कंडा घाटी में 25 मई की रात करीब 11 बजे स्पीड ब्रेकर के पास औरंगाबाद की ओर से आ रही एक कार आमने सामने हो गयी. दोनों गाड़ी रुक गयी. गाड़ी रुकते ही दो लोग उतरे और चालक को गाली गलौज करने लगे. जिसके बाद अपराधियों ने कारोबारी मिथिलेश प्रसाद और उनके चालक श्रवण प्रजापति को जबरन उनकी गाड़ी से उतार दिया. और अपने साथ लेकर चले गये. जिसके बाद एक जून को अपराधियों सबसे पहले ड्राइवर की हत्या की. उसके बाद मिथिलेश प्रसाद की हत्या कर दी थी. हत्या के बाद व्यवसाई के शव को यूरिया, खाद और नमक डालकर दफना दिया गया था. साथ ही ड्राइवर को जंगल के दो पहाड़ियों के खोह में फेंक दिया था.
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बाबूलाल मरांडी ने पलामू पुलिस के कार्यशैली पर भी उठाए थे सवाल
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बीते 31 जुलाई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर ,पलामू पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठाए थे. बाबूलाल मरांडी ने पत्र लिखते हुए कहा था कि अपराधियों के द्वारा मिथिलेश प्रसाद और उनके ड्राइवर का बीते 25 मई को अपहरण कर लिया गया. छोड़ने के एवज में 60 लाख रुपया मांग की गई. मोलभाव के बाद 10 लाख रूपया में सौदा तय हुआ. परिवार के लोग पुलिस के संपर्क में थे और सभी जानकारी से अपडेट करा रहे थे. परिवार वाले ने कहा कि हम गरीब हैं 10 लाख कहां से देंगे. इस पर पुलिस ने आश्वासन दिया कि हम 10 लाख का इंतजाम करके दे देंगे, क्योंकि किसी भी कीमत पर अपराधियों को पकड़ना है. जब पुलिस ने इस बारे में कुछ नहीं किया तो परिवार वालों ने किसी तरह 10 लाख रूपया का इंतजाम किया. इसकी सूचना पुलिस को दी.
जिसके बाद 9 जून की रात 9:00 बजे पुलिस के साथ परिवार के लोग अपराधियों को पैसा देने के लिए गए. परिवार वालों को उम्मीद थी कि अपहरण किए गए लोगों को छुड़ा लिया जाएगा. और अपराधियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ .अपराधियों ने 10 लाख रुपया ले गए और अपहरण किए गए लोगों को भी नहीं छुड़ाया. अपराधियों ने पुलिस को चकमा देकर भाग निकले. यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ. जबकि परिवार के लोगों ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि पैसा लेने वाले अपराधियों के दलाल को पकड़ लीजिए, लेकिन अधिकारी नहीं माने और अपराधियों को जाने दिया.
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